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Editorial

World Cup 2023 Final: भारत की झोली में आता विश्‍व कप!

भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच वर्ल्‍ड कप 2023 का फाइनल मुकाबला अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्‍टेडियम में खेला जाएगा। भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच 20 साल के बाद वर्ल्‍ड कप फाइनल में भिड़ंत हो रही है। इससे पहले दोनों देशों के बीच 2003 वर्ल्‍ड कप फाइनल मुकाबला खेला गया था। रोहित शर्मा के नेतृत्‍व वाली भारतीय टीम शानदार फॉर्म में हैं और खिताब की प्रबल दावेदार मानी जा रही है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek NigamPublished: Sun, 19 Nov 2023 11:08 AM (IST)Updated: Sun, 19 Nov 2023 11:08 AM (IST)
भारतीय टीम को विश्‍व कप खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है

तरुण गुप्‍त। विश्व कप में भारत का प्रदर्शन अद्भुत रहा है। ऐसे में फाइनल पर कोई भी सलाह देना कुछ असहज लग सकता है। टीम की उत्कृष्ट विजय यात्रा में खेलप्रेमी के रूप में हमारी बस इतनी सी शिकायत हो सकती है कि हमारे मुकाबले रोमांचक न होकर एकतरफा रहे।

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चाहे जो भी हो, खेल प्रेम के ऊपर हमारे भीतर का देशभक्त ही हावी रहता है। हम भारत के एक और प्रभुत्वशाली वर्चस्व वाले प्रदर्शन की प्रार्थना करते हैं। यह सत्य है कि सभी भारतीय क्रिकेटप्रेमियों में एक विश्लेषक भी छिपा होता है, जो बिन मांगी सलाह देने से हमें नहीं रोक पाता।

ऐसी राय भले ही अक्सर अनावश्यक हो, लेकिन उसमें सदैव भली मंशा का भाव होता है। जहां हमारी टीम लगभग हर पहलू को दुरुस्त करते हुए पूर्णता के करीब पहुंचती दिख रही है, लेकिन हमें सुधार की गुंजाइश सदैव तलाशनी ही चाहिए।

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ऐसी स्थिति में क्या टीम प्रबंधन को मोहम्मद सिराज के स्थान पर रविचंद्रन अश्विन को उतारने पर विचार करना चाहिए? स्पिन के विरुद्ध आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज संघर्ष करते आए हैं। अश्विन के साथ हमारी बल्लेबाजी में भी गहराई बढ़ जाती है जो किसी बड़े लक्ष्य का पीछा करने की स्थिति में बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

उम्मीद है कि अहमदाबाद की पिच धीमी होगी। यह मैदान भी बड़ा है। ऐसे में परिस्थितियां फिरकी गेंदबाजों के अनुकूल दिखती हैं। सिराज भले ही शानदार गेंदबाज हों, लेकिन सेमीफाइनल में उनकी रंगत उड़ी हुई थी। वर्तमान स्थिति में कोई दोराय नहीं कि बुमराह और शमी ही तेज गेंदबाजों के रूप में हमारी पहली पसंद होंगे।

बल्लेबाजी कौशल के लिहाज से हम शार्दुल पर भी विचार कर सकते थे, लेकिन उनकी धीमी रफ्तार गेंदबाजी, बल्लेबाजी के अनुकूल विकेट पर उन्हें आसान निशाना बनवा सकती है। विजय रथ पर सवार टीम में कोई परिवर्तन विशेषज्ञों को अखर सकता है। भले इस अवधारणा का अपना महत्व हो, लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि हम परिस्थितियों के अनुरूप समायोजन करें।

क्या यह रक्षात्मक मानसिकता का प्रतीक है? हो सकता है, किंतु कई बार रणनीति में समायानुकूल परिवर्तन लाभकारी होता है। अश्विन एक विश्वस्तरीय गेंदबाज हैं, जिनके विरुद्ध बल्लेबाज संघर्ष करते हैं। साथ ही वह आठवें क्रम पर एक उपयोगी बल्लेबाज भी हैं। उन्हें टीम में लाना एक प्रकार से परिस्थितियों की दृष्टि से किसी इंश्योरेंस कवर जैसा है।

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सलाह-मशविरों का कोई अभाव नहीं, लेकिन कोई भी अंतिम निर्णय तो कप्तान एवं कोच की अगुआई वाले टीम प्रबंधन को ही लेना है। जब आंकड़े एवं रुझान सही राह दिखाने में असमर्थ होते हैं तब अंतरात्मा की आवाज ही निर्णायक बनती है। परिणाम चाहे जो हो, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारी टीम ने लोगों के दिलो-दिमाग को जीता है।

हम निर्विवाद रूप से दूसरों से श्रेष्ठ रहे हैं और भगवान न करे, पर एक खराब दिन इस तथ्य और तस्वीर को नहीं बदल सकता। ऐसे में मन में यह भाव आना स्वाभाविक है कि काश यह फाइनल बेस्ट आफ थ्री फार्मेट वाला होता। चलिए अथाह प्रार्थना, अनंत शुभकामना और अगाध आशा एवं भरपूर आत्मविश्वास के साथ फाइनल मुकाबले के साक्षी बनते हैं। अंतिम एकादश चाहे जो रहे, लेकिन इस बार विश्व कप भारत आता दिख रहा है।


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