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विवादित रन आउट पर आलोचना बेकार

भारत-ऑस्ट्रेलिया में खेली गई वनडे व टी-20 सीरीज के अलावा न्यूजीलैंड-ऑस्ट्रेलिया में खेला गया पहला वनडे और दक्षिण अफ्रीका-इंग्लैंड वनडे सीरीज में पूरी तरह से बल्ले का बोलबाला रहा और किसी ने कोई शिकायत भी नहीं की। लेकिन अगर मैच का पासा दूसरी तरफ पलट जाए, जहां गेंद का दबदबा

By ShivamEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2016 07:42 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 07:44 PM (IST)
विवादित रन आउट पर आलोचना बेकार

(सुनील गावस्कर का कॉलम)

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भारत-ऑस्ट्रेलिया में खेली गई वनडे व टी-20 सीरीज के अलावा न्यूजीलैंड-ऑस्ट्रेलिया में खेला गया पहला वनडे और दक्षिण अफ्रीका-इंग्लैंड वनडे सीरीज में पूरी तरह से बल्ले का बोलबाला रहा और किसी ने कोई शिकायत भी नहीं की। लेकिन अगर मैच का पासा दूसरी तरफ पलट जाए, जहां गेंद का दबदबा हो तो पूरी दुनिया पिच बनाने वाले क्यूरेट की जान की दुश्मन बन जाती है। साफ कहूं तो अगर पिच से जान का खतरा न हो तो इसे लेकर मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। मैं पहले भी कह चुका हूं कि क्रिकेट में निवेश करने वाले टीवी राइट होल्डर, स्पांसर भी अपने पैसे की पूरी वसूली चाहते हैं। वे अपेक्षा करते हैं कि मैच ज्यादा जल्दी खत्म न हो।

बल्ले के दबदबे के बीच एक युवा गेंदबाज अपनी हरकत की वजह से सुर्खियों में है। अंडर-19 टूर्नामेंट में खेलते हुए वेस्टइंडीज के गेंदबाज कीमो पॉल ने नॉन स्ट्राइकर रिचर्ड गरावा को क्रीज से बाहर देखा तो बेल्स उड़ा दी। इस विकेट से वेस्टइंडीज ने मैच जीतकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया। इसको लेकर उन अपील करने वाले आउट होने पर भी क्रीज से नहीं जाने वाले लोगों की तरफ कई तरह की टिप्पणियां आईं, जबकि उन्हें अच्छी तरह से पता था कि करियर के दौरान कई बार क्लीन कैच नहीं ली थी और वह खेल की भावना के खिलाफ था। आउट होने पर भी वे विकेट पर अड़े रहे और पता होने के बावजूद कि बल्लेबाज आउट नहीं है फिर भी अपील की। क्या यह खेल भावना है? याद है ऑस्ट्रेलियाई टीम के कोच ने स्टुअर्ट ब्रॉड को स्लिप में कैच आउट होने के बावजूद क्रीज पर खड़े रहने के लिए काफी बुरा भला सुनाया था। यह क्या दिखाता है कि विकेटकीपर कैच ले तो खड़े रहना गलत नहीं है, लेकिन स्लिप में कैच होने पर ऐसा करना गलत है? नियम सभी के लिए बराबर हैं और अगर कोई बल्लेबाज रन चुराने के लिए क्रीज से बाहर है तो उसे रनआउट करना कोई गलत नहीं है। सीधी सी बात है। आधुनिक क्रिकेट में जहां जीत ही सब कुछ है, इस पर बहस करना बेकार लगता है।

इससे भी ज्यादा बुरी बात तो यह है कि इसमें भारत के महान क्रिकेटर वीनू माकंड का नाम घसीटा गया और इस हरकत को उनके नाम से बुलाया गया। निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसा करने वाले वह पहले क्रिकेटर थे, लेकिन उन्होंने दूसरे छोर पर खड़े बिल ब्राउन को दो बार चेतावनी देने के बाद ऐसा किया था। चेतावनी को अनसुना करने के बाद तीसरी बार ऐसा करने के बाद उन्होंने ब्राउन को रन आउट किया था। यहां तक उस समय के कप्तान सर डॉन ब्रैडमैन को भी इसमें कुछ गलत नहीं लगा था और उन्होंने भी बल्लेबाज को ही दोषी ठहराया था। उम्मीद है कम से कम भारतीय मीडिया और क्रिकेट प्रेमी इस तरह के विकेट को माकंड की बजाय ब्राउन के नाम से पुकारेंगे क्योंकि इसमें ब्राउन की ही गलती थी।

(पीएमजी)

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