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सुशिक्षित समाज: महिलाओं ने चंदा इकठ्ठा कर जमीन खरीदी फिर स्कूल खोलने किया दान

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला मुख्यालय की लगभग आधी आबादी रेलवे पटरी के पार है। इसी पटरीपार में बसा है रामनगर जहां तीन दशक पहले 1994 में प्राइमरी स्कूल तक नहीं था। बच्चे बुरी आदतों में फंस रहे थे। जो बच्चे स्कूल जाना चाहते थे उन्हें रेलवे की पटरियां पार करनी पड़ती थी। झुग्गी बस्तियों के इन बच्चों की आदत देख शिक्षक अक्सर उन्हें स्कूल के बाहर अलग से बैठाते थे।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Published: Thu, 11 Apr 2024 07:10 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2024 07:10 PM (IST)
नमो दैव्यै के लिए.... सुशिक्षित समाज - महिलाओं ने चंदा इकठ्ठा कर जमीन खरीदी फिर स्कूल खोलने किया दान

प्रकाश वर्मा, राजनांदगांव। स्कूल में अपने बच्चों से भेदभाव होता देख महिलाओं ने स्वयं ही स्कूल की नींव डाल दी। मोहल्ले में एक-एक करके 12 महिलाओं को एकजुट किया। इसके बाद थोड़ी राशि जुटाकर महिला मंडल बनाया और फिर एक लाख रुपये चंदा इकट्ठा कर जमीन खरीद ली। इसके बाद इस जमीन को स्कूल खोलने के लिए प्रशासन को दान कर दिया। यह अनूठी कहानी है एक छोटे से मोहल्ले रामनगर की।

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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला मुख्यालय की लगभग आधी आबादी रेलवे पटरी के पार है। इसी पटरीपार में बसा है रामनगर, जहां तीन दशक पहले वर्ष 1994 में प्राइमरी स्कूल तक नहीं था। बच्चे बुरी आदतों में फंस रहे थे। जो बच्चे स्कूल जाना चाहते थे, उन्हें रेलवे की पटरियां पार करनी पड़ती थी। झुग्गी बस्तियों के इन बच्चों की आदत देख शिक्षक अक्सर उन्हें स्कूल के बाहर अलग से बैठाते थे। इसे देखकर महिलाओं ने मोहल्ले में ही स्कूल खुलवाने की मांग की, लेकिन रामनगर में कहीं भी शासकीय जमीन नहीं थी। इसलिए प्रशासन ने स्कूल खोलने की मांग खारिज कर दी, लेकिन महिलाओं ने हार नहीं मानी।

रामनगर की रामबाई निषाद ने मोहल्ले की 12 महिलाओं को जोड़कर करुणा महिला मंडल का गठन कर आपस में रुपये जमा किये। इसके बाद मोहल्ले और शहर के लोगों से चंदा लेकर करीब एक लाख रुपये इकठ्ठा किया। इस राशि से उन्होंने रामनगर में ही लगभग 3700 वर्ग फीट यानी 85 डिसमिल जमीन खरीदी और स्कूल खोलने के लिए प्रशासन को दान कर दी। वर्तमान में इस जमीन पर शासकीय प्रायमरी स्कूल का संचालन हो रहा है, जिसमें पहली से पांचवी तक के 31 बच्चे अध्ययनरत हैं। महिलाओं की यह सराहनीय पहल रामनगर के बच्चों में शिक्षा की नींव रखने का काम कर रही है। पिछले शिक्षा सत्र में इस स्कूल में 55 बच्चे पढ़ते थे। अब यहां छठवीं से आठवीं तक की कक्षाएं शुरू करने की मांग उठने लगी है।

भिखारी कहकर किसी ने 50 पैसे दिए : रामबाई

रामबाई ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले पांच रुपये जमा किया, जिससे महिला मंडल के नाम पर रसीद पर्ची छपवायी। फिर चंदा जमा करना शुरू किया। पुरानी बातों को याद कर रामबाई रो पड़ी। उन्होंने बताया कि कई लोगों ने उन्हें भिखारी कहकर 50 पैसे व एक रुपये तक दिये, जिसे बच्चों के भविष्य को देखते हुए रख लिये। इसी एक-दो रुपये को इकठ्ठा कर उन्होंने एक लाख रुपये जमा किये और उस राशि से जमीन खरीदी। रामनगर निवासी एक अन्य महिला ने बताया कि शिक्षक हमारे मोहल्ले के बच्चों को स्कूलों में अलग से बाहर बैठाते थे। हमसे यह भेदभाव देखा नहीं गया। आखिरकार बच्चों के भविष्य के लिए ही उनके साथ जुड़ी महिलाओं ने मोहल्ले में ही स्कूल खुलवाने की ठानी। जब प्रशासन से हमारी मांग को खारिज कर दिया तो हमने स्वयं ही राशि जमाकर जमीन खरीद ली। इस तरह स्कूल का सपना साकार हो गया।

इन महिलाओं ने किया योगदान

रामनगर में स्कूल खुलवाने के लिए रामबाई निषाद, उषा ठाकुर, लता बंजारे, कलीबाई, नीलू सिन्हा, रेशमा साहू, सुखबाई, दुलास बाई, मैनाबाई और कली बाई ने करूणा महिला मंडल का गठन किया था। इनमें से पांच महिलाओं का स्वर्गवास हो गया है, लेकिन उनके योगदान को आज भी मोहल्ले में लोग याद करते हैं।

गेट पर लिखेंगे महिलाओं के नाम

महिलाओं की सराहनीय पहल से मोहल्ले के बच्चे शिक्षित हो रहे हैं। प्राइमरी स्कूल के साथ उसी जमीन पर आंगनबाड़ी केंद्र का भी संचालन हो रहा है। सामुदायिक भवन का भी निर्माण होना है। स्कूल की बाउंड्रीवाल भी प्रस्तावित है। करीब 35 लाख की लागत से विकास कार्य होने हैं। स्कूल के गेट पर महिलाओं के महिला मंडल का नाम लिखकर उनके योगदान को जीवित रखेंगे।

मधुकर वंजारी, पार्षद रामनगर

हर साल बढ़ रहे बच्चे

मोहल्ले की महिलाओं के योगदान को यादगार बनाना चाहिए। बच्चों को शिक्षित करने के लिए महिलाओं का योगदान प्रेरणादायी है। हमारा प्रयास है कि हम बच्चों को बेहतर शिक्षा दे। इसी प्रयास के कारण स्कूल में हर साल बच्चों की संख्या बढ़ रही है।

रूबिना नाज, प्रधान पाठिका, शासकीय प्रायमरी स्कूल, रामनगर


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