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शेयर बाजार में SIP करने वाले निवेशक ऐसे करते हैं अपना नुकसान, इन लोगों मिलता है कंपाउंडिंग का फायदा

शेयर बाजार में अक्सर देखा जाता है कि कुछ निवेशक साल के एक विषेश समय अपनी एसआईपी बंद कर देते हैं जिससे उनके निवेश का अनुशासन टूट जाता है और वे कंपाउंडिंग के फायदे से वंचित रह जाते हैं। (जागरण फाइल फोटो)

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaPublished: Sun, 12 Mar 2023 06:00 PM (IST)Updated: Sun, 12 Mar 2023 06:35 PM (IST)
How sip investor lost money in Share Market

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। कुछ दिनों पहले एक अखबार में पढ़ा- 'पिछले चार महीनों में सबसे ज्यादा निवेश'। इस लेख में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में लोगों के निवेश को लेकर बात हो रही थी। इसी को लेकर कुछ आंकड़े इस तरह से हैं कि इक्विटी फंड्स में नवंबर 2022 में कुल निवेश 2,258 करोड़ रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन दिसंबर में ये बड़ी तेजी से बढ़ा और 7,303 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और जनवरी में बढ़कर 12,546 करोड़ रुपये हो गया। मार्च तक 12 महीनों में ये निवेश बढ़कर 28,463 करोड़ रुपये हो गया।

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नवंबर से लेकर मार्च तक का ये बदलाव बहुत बड़ा है। इसमें सबसे निचले और उच्च स्तर का फर्क 12 गुना है। नोट करें, ये कुल निवेश या नेट इनफ्लो है। मतलब, इसमें पैसे निकाला जाना या आउटफ्लो शामिल नहीं है। यानी, जहां ये उतार-चढ़ाव जारी है, वहां सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआइपी) के जरिए किस्तों में किया जाने वाला निवेश लगातार बढ़ रहा है। दिसंबर में एसआइपी से होने वाला निवेश 13,573 करोड़ रहा, जो अब तक सबसे ज्यादा था। जनवरी में ये थोड़ा और बढ़ गया, जो एक रिकार्ड है।

मोटे तौर पर भारतीय इक्विटी म्यूचुअल फंड्स का अब यही पैटर्न है। यह एसआइपी और ईपीएफओ के निवेश से लगातार बढ़ रहा है। इसमें उतार-चढ़ाव होता रहता है और ऐसा निवेशकों के पैसा निकलने के कारण होता है। हालांकि, नवंबर में जब ज्यादा पैसे निकाले गए, तब भी जमा होने वाले पैसों की मात्रा ज्यादा रही।

लंबे समय के लिए बाजार में निवेश करें

अब सवाल है कि किसी एक ही समय पर निवेशक ज्यादा पैसे क्यों निकालते हैं? इसके कई कारण हैं। मगर ज्यादातर लोगों का नवंबर में निवेश से बाहर निकलना दिखाता है कि मार्केट के उछाल के साथ बढ़ने वाले पैसे ही इसकी वजह होंगे। अगर आप पिछले साल के दौरान मार्केट के उतार-चढ़ाव देखेंगे तो पाएंगे कि नवंबर में वापसी करने के बाद इक्विटी मार्केट ऊंचाई पर था। यही वो वक्त था जब घबराने वाले निवेशकों ने राहत की सांस ली और अपना पैसा तुरंत निकाल लिया। दूसरा मसला एसआइपी के प्रति नकारात्मक रवैया है। इसे फंड बेचने वाले और कुछ फिन-फ्यूएंसर (फाइनेंस-इन्फ्लूएंलर) टाइप के लोग बढ़ावा देते हैं।

अनुशासन के साथ निवेश करें

अक्सर आप सुनेंगे कि जब आप काफी लंबे समय से निवेश कर रहे हों, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने एसआइपी के जरिये निवेश किया है या एक ही बार में सारे पैसे लगाए हैं। एसआइपी निवेश का एकमुश्त निवेश के अनुपात में ही घटना-बढ़ना कोई नई खोज नहीं है। अगर आपके फंड में एक लाख रुपये जमा हैं और उसका एनएवी 10 प्रतिशत गिर जाए तो उसकी वैल्यू 90 हजार रुपये ही होगी। चाहे आपने किस्तों में निवेश किया हो या एक ही बार में सारे पैसे लगाए हो। मुनाफा पाने की पहली शर्त है कि निवेश किया जाए और अपनी आमदनी का हिस्सा लगातार निवेश किया जाए।

लगातार जारी रखें निवेश

ऊपर दिया डाटा दिखाता है कि जो निवेशक एसआइपी के जरिये निवेश करते हैं, वो अपना निवेश जारी रखते हैं। जबकि एक ही बार में सारा पैसा निवेश करने वाले अक्सर निवेश बंद कर देते हैं। असल में ये बिना रुकावट, लगातार और धीरे-धीरे निवेश करने के मनोविज्ञान की बात है। इस तरह से किस्तों में किया गया निवेश आपकी आमदनी के पैटर्न से मेल खाता है और अक्सर जब निवेश की शुरुआत ऐसे की जाती है तो आप रुकते नहीं हैं। चाहे एसआइपी की आंतरिक रिटर्न दर एक बार में करने वाले निवेश से बेहतर है या नहीं।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

 


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