एक खराब सलाह से डूब सकते हैं आपके पैसे, क्या आप जानते हैं मार्केट से मुनाफा कमाने का मंत्र
अपनी किताब स्किन-इन-द-गेम में तालेब ने इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स को एक दिलचस्प सलाह दी है- मुझे मत बताओ क्या करना है बस अपना पोर्टफोलियो दिखा दो। ये बात वो उन लोगों के लिए कहते हैं जो दूसरों को निवेश करने की सलाह देते हैं। ये बात असलियत से दूर लगती है पर इसका कोई सीधा हल भी नहीं है सिवाए इसके कि सलाह देने वाला भी भरोसे का ट्रैक रिकार्ड दिखाए।
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। दूसरों को परामर्श देने वाले को कंसल्टेंट कहा जाता है। चैटजीपीटी से पूछा गया कि कंसल्टेंट क्या होता है? जवाब था- 'कंसल्टेंट एक प्रोफेशनल होता है जो किसी खास क्षेत्र या उद्योग में व्यक्तियों, संगठनों या व्यवसायों को विशेषज्ञ सलाह, मार्गदर्शन और समाधान देता है। वो ग्राहकों की समस्याओं को सुलझाने, उनमें सुधार या उनके लक्ष्यों को पाने में मदद करने के लिए अपना ज्ञान, विशेषज्ञता और अनुभव बांटता है।
सुनने में अच्छा लगा। हाल में मैंने एक दिलचस्प किताब 'द बिग कान: हाऊ द कंसल्टिंग इंडस्ट्री वीकन्स आवर बिजेनसेज, इनफैंटिलाइजेज आवर गवर्मेंट्स एंड वार्प्स आवर इकोनमीज' पढ़ी। इसके लेखक मारियाना मत्जुकाटो और रोजी कार्लिंगटन तर्क देते हैं कि बड़े बिजनेस और सरकारें बाहरी विशेषज्ञों पर जो भरोसा दिखाती हैं। इससे उनकी लक्ष्य हासिल करने की क्षमता कमजोर हो रही है। बाहरी विशेषज्ञ अपने तौर-तरीकों से काम करके पैसे बनाते हैं।
स्किन-इन-द-गेम की स्ट्रैटेजी
कुल मिलाकर, ये लोग खुद पूरी तरह से खेल में शामिल नहीं होते। पूरी तरह से शामिल होना या अंग्रेजी में जिसे स्किन-इन-द-गेम कहते हैं, एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जिसका इस्तेमाल अक्सर इस पर जोर देने के लिए होता है कि काम के नतीजों में हिस्सेदारी रखने वाले ज्यादा प्रतिबद्ध रहते हैं। लेकिन ये काम कैसे करता है?
टूरिस्ट्स के साथ टाइटैनिक तक लेकर जाने वाली जो सबमरीन डूबी, उससे अचानक ये सवाल उठ रहा है। सबमरीन बनाने वालों की कम्युनिटी के मुताबिक, इस सबमरीन को बनाने में कई शार्ट-कट लिए गए थे, इसीलिए सबमरीन और यात्रियों का दुखद अंत हुआ। हालांकि, इस सबमरीन के चीफ आर्किटेक्ट और कंपनी के सीईओ स्टाक्टन रश खुद भी हादसे के शिकार हो गए। हालांकि, इस काम में उनकी जिम्मेदारी शायद कुछ ज्यादा ही थी क्योंकि उन्होंने खुद इसमें कई बार गोता लगाया था।
काबिलियत बढ़ाने का मंत्र
बताया जाता है कि उन्होंने इस बात को नजरअंदाज किया कि फाइबर ग्लास का मुख्य हिस्सा हर गोते के साथ कमजोर होता जा रहा था। तो इस केस में स्किन-इन-द-गेम का सिद्धांत कैसे काम करता है? इस आदमी ने खुद ये जोखिम क्यों लिया? इसका जवाब है अक्षमता, अहंकार और अभिमान।
उन्हें लगा कि वो ही सबसे बेहतर जानते हैं। क्रिप्टो के बास भी ठीक ऐसे ही हैं। उन्होंने दूसरों को बर्बाद किया। हालांकि, इनमें से कई खुद भी बर्बाद हुए। जैसा कि नसीम निकोलस तालेब कहते हैं, खेल में खुद शामिल होना तब काम नहीं करता, जब जोखिम के दायरे में आने वाले लोगों की काबिलियत जादुई तरीके से बढ़ा दी जाए।
एक खराब वित्तीय सलाह
इंसेंटिव, व्यवहार को बेहतर बनाते हैं, मगर इसका भरोसेमंद तरीका ये है कि नकारा लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए। संभवत: गहरे समंदर में गोता लगाने के संदर्भ में, प्रकृति ने यही फैसला दिया है। मगर बचत और निवेश में नकारा लोगों को खेल से बाहर करने का तरीका अलग तरह से काम करता है। अक्सर देखने को मिलता है कि खराब तरह से चलाई जाने वाली कंपनियां धीरे-धीरे बंद हो जाती हैं और ऐसे फंड्स के साथ भी यही होता है, मगर आपको वित्तीय सलाह देने वालों का क्या होता है?
(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)