टेलीकॉम उद्योग को वित्तीय दबाव से उबारने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे: मनोज सिन्हा
मनोज सिन्हा ने टेलीकॉम कंपनियों को भरोसा दिलाया है कि इस क्षेत्र को उबारने के लिए हर मुमकिन कदम उठाया जाएगा
नई दिल्ली (जेएनएन)। संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने टेलीकॉम कंपनियों को भरोसा दिया है कि सरकार उद्योग को वित्तीय दबाव से उबारने तथा विकास की राह पर लाने को सुधारात्मक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी। टेलीकॉम कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक में सिन्हा ने कहा कि अंतरमंत्रलयी समूह (आइएमजी) की रिपोर्ट शीघ्र ही प्राप्त होगी। जिसके आधार पर सरकार आम आदमी को बेहतर सेवाओं के मद्देनजर उद्योग को राहत देने के जरूरी उपाय करेगी।
संचार मंत्री की यह बैठक आइएमजी के साथ टेलीकॉम कंपनियों की कई दौरों में हो चुकी वार्ता के बाद हुई है। इन सभी बैठकों में विचार का विषय यही था कि उद्योग को वित्तीय दबाव से कैसे उबारा जाए।
संचार मंत्री के साथ बैठक में भारती एयरटेल के चेयरमैन भारती मित्तल और रिलायंस कम्यूनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी के अलावा आइडिया सेल्युलर के प्रबंध निदेशक हिमांशु कपानिया, टाटा संस के निदेशक इशात हुसैन तथा रिलायंस जियो इंफोकॉम बोर्ड के सदस्य महेंद्र नाहटा शामिल थे। दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने भी भाग लिया। जियो ने पिछले सप्ताह कहा था कि एयरटेल और आइडिया जैसी कंपनियों के वित्तीय दुर्दशा की वजह जरूरत से ज्यादा कर्ज लेना तथा टेलीकॉम क्षेत्र से इतर क्षेत्रों में निवेश करना है। इन कंपनियों ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत कम निवेश किया है और वे अनावश्यक रूप से वित्तीय दबाव का हौवा खड़ा कर रही हैं। जियो के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर मित्तल ने कहा कि एयरटेल ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर कितना निवेश किया है, यह आप हमारी बैलेंस शीट का देखकर जान सकते हैं। जियो से पहले से बाजार में जमी टेलीकॉम कंपनियों लगातार कहती आ रही हैं कि 14 पैसे प्रति मिनट का मौजूदा कॉल कनेक्ट शुल्क लागत से भी कम है और इसमें वृद्धि की जरूरत है। अन्यथा नई कंपनियां अत्यधिक सस्ती दरों के बल पर पुरानी कंपनियों का कारोबार खा जाएंगी। एयरटेल तथा दूसरी पुरानी कंपनियां शुरू से ही यह मांग करती आ रही हैं कि उसके नेटवर्क पर टर्मिनेट होने वाली कॉल्स के लिए उन्हें ज्यादा शुल्क मिलना चाहिए तथा अपने ग्राहकों को जोड़े रखने के लिए रियायतें देने की छूट मिलनी चाहिए।
पहले से जमी कंपनियां लाइसेंस शुल्क, स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज के अलावा जीएसटी की दरों में कमी की भी लगातार मांग कर रही हैं। इसके अलावा वे स्पेक्ट्रम की कीमत के भुगतान के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग भी कर रही हैं। अपने ऊपर 4.6 लाख करोड़ रुपये के समेकित कर्ज का हवाला देते हुए इन कंपनियों ने सरकार से तत्काल राहत देने वाले कदम उठाने की मांग की है। इन मुद्दों पर पिछले सप्ताह दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के साथ भी दूरसंचार कंपनियों की बैठक हो चुकी है। जिसमें आइडिया सेल्युलर ने वॉइस व डाटा की न्यूनतम दरें निर्धारित करने का सुझाव दिया था।