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जीएसटी विकास दर को ले जाएगा आठ फीसद के ऊपर

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) का मानना है कि जीएसटी भारत की ग्रोथ को 8 फीसद के ऊपर ले जा सकता है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 12:05 PM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 12:05 PM (IST)
जीएसटी विकास दर को ले जाएगा आठ फीसद के ऊपर

नई दिल्ली (पीटीआई)। एक जुलाई से लागू हो रहा महत्वाकांक्षी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भारत की मध्यावधि ग्रोथ को आठ फीसद से ऊपर ले जाने में मदद करेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने यह बात कही है। वैसे, उसने देश के बैंकिंग तंत्र की सेहत पर चिंता जताई है। आइएमएफ के डिप्टी एमडी ताओ झांग ने कहा कि क्षेत्र में भारत सबसे तेजी से बढ़ती उभरती अर्थव्यवस्था है। मुद्राकोष को भरोसा है कि उसकी यह रफ्तार बनी रहेगी।

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उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 में इसके 6.8 फीसद और 2017-18 में 7.2 फीसद रहने के अनुमान हैं। सरकार ने आर्थिक सुधारों पर अहम प्रगति की है। इससे आगे मजबूत और सतत वृद्धि में सहायता मिलेगी। उम्मीद है कि जीएसटी भारत की मध्यावधि वृद्धि को आठ फीसद से अधिक ले जाने में मदद करेगा। वजह यह है कि इससे उत्पादन और भारत के सभी राज्यों में वस्तुओं व सेवाओं की आवाजाही बढ़ेगी। भारत सरकार की ओर से उठाए जा रहे सुधारों पर एक सवाल के जवाब में झांग बोले कि ये प्रभावित करने वाले हैं। उम्मीद है कि ये भविष्य में ऊंची विकास दर के रास्ते खोलेंगे। कच्चे तेल की नरम कीमतों ने आर्थिक गतिविधियों में जान फूंकने का काम किया है। इससे महंगाई को भी नियंत्रण में रखने में मदद मिली है।

नोटबंदी के कदम पर उन्होंने कहा कि इस पहल के कारण आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार कम हुई। लेकिन इस मुहिम की सही प्रगति के कारण दोबारा सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। बैंकिंग तंत्र की सेहत चिंताजनक: झांग ने कहा कि भारत के संदर्भ में आइएमएफ की सबसे बड़ी चिंता बैंकिंग तंत्र की सेहत है। देश की बैंकिंग प्रणाली फंसे कर्ज की समस्या में बुरी तरह उलझी है। वित्त वर्ष 2016-17 की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान भारत में सरकारी बैंकों के फंसे कर्ज एक लाख करोड़ से ज्यादा बढ़कर 6.06 लाख करोड़ पर पहुंच गए। इनमें से ज्यादातर फंसे कर्ज पावर, स्टील, रोड, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्सटाइल सेक्टर में है। वित्त वर्ष 2015-16 में कुल फंसे कर्ज 5,02,068 करोड़ रुपये रहे।

भारत-चीन की मजबूत भागीदारी अहम: झांग के अनुसार, भारत और चीन के बीच मजबूत भागीदारी न केवल इन देशों, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। वर्तमान में इन दोनों का ग्लोबल ग्रोथ में आधे का योगदान है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सही नीतियों की बदौलत मजबूत, सतत, संतुलित और समावेशी विकास को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

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