रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है भारत में विदेशी निवेश, 9 महीने में आंकड़ा ढाई लाख करोड़ के पार हुआ
मार्च में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के अंत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एक रिकॉर्ड स्तर को छू सकता है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के मुद्रा विनिमय कार्यक्रम के कारण ग्रोथ को लगे अस्थाई झटकों के बावजूद भारत में विदेशी निवेश मार्च में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के अंत तक एक रिकॉर्ड स्तर को छू सकता है। यह भारत को आर्थिक स्थिरता वाले द्वीप के रूप में रेखांकित करता है, विशेषकर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में जिसमें बीते साल 13 फीसद की गिरावट देखने को मिली थी।
बीते साल के मुकाबले 22 फीसद बढ़ा FDI:
वित्त वर्ष 2016-17 में अप्रैल से दिसंबर की अवधि के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का आंकड़ा 22 फीसद के उछाल के साथ 35.8 बिलियन डॉलर (करीब 2.4 लाख करोड़ रुपए) के स्तर पर पहुंच चुका है। यह स्तर तब है जब इन आंकड़ों में वित्त वर्ष के शेष तीन महीनों के आंकड़े नहीं जुड़े हैं। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बीते साल साल के 40 बिलियन डॉलर के आंकडे़ को पार कर एक नया रिकॉर्ड बनाएगा।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के इन आंकड़े में अगर असमावेशित कंपनियों में किए गए निवेश को भी जोड़ दें तो कुल विदेशी निवेश 48 बिलियन डॉलर के करीब है। बीते वित्त वर्ष यह आंकड़ा 55.5 बिलियन डॉलर का था। विदेशी निवेश में सबसे बड़ा हिस्सा सर्विस सेक्टर का है जिसका योगदान करीब 18 फीसद है। इसके अलावा निर्माण विकास, टेलिक्युनिकेशन्स, कंप्यूटर हार्डवेयर और ऑटोमोबाइल सेक्टरों में भी भारी विदेशी निवेश हुआ है।