आयकर के रिकॉर्ड में 33 फीसद कंपनियां शामिल नहीं: कैग
कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) में पंजीकृत फर्मो में से करीब एक तिहाई आयकर विभाग के डाटाबेस में शामिल नहीं हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) में पंजीकृत फर्मो में से करीब एक तिहाई आयकर विभाग के डाटाबेस में शामिल नहीं हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने शुक्रवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। कैग ने कहा है कि कॉरपोरेट करदाताओं की ओर से दाखिल किए जाने वाले रिटर्न की स्थिति जानने के लिए उसने विभिन्न स्रोतों से प्राप्त डाटा का तुलनात्मक अध्ययन किया। यह डाटा कॉरपोरेट मामलों के मंत्रलय, डीजीआइटी (सिस्टम्स) और डीजीआइटी (लॉजिस्टिक्स, रिसर्च व स्टैटिस्टिक्स) से जुटाया गया।
रिपोर्ट कहती है कि आरओसी के यहां दर्ज कार्यशील कंपनियों व डीजीआइटी (लॉजिस्टिक्स, रिसर्च व स्टैटिस्टिक्स) की ओर से बताई गई कंपनियों की संख्या में 2.94 लाख (33.3 फीसद) से 3.94 लाख (36.4 फीसद) का अंतर है। यह संकेत देता है कि या तो ये कंपनियां आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करती हैं या उन्होंने रिटर्न दाखिल करना बंद कर दिया है। इसी तरह 2015-16 के दौरान डीजीआइटी (सिस्टम्स) की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और मांग व संग्रहण रजिस्टर में आकलन अधिकारी स्तर पर जांच निपटान की संख्या में भी अंतर है। इसके अनुसार, 2012-13 से 2015-16 के दौरान आरओसी के यहां पंजीकृत कंपनियों में से लगभग एक तिहाई आयकर विभाग के डाटाबेस में शामिल नहीं थीं।
समय से सब्सिडी मिलती तो एफसीआइ बचा सकता था 36 हजार करोड़ कैग ने कहा है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) को अगर सरकार से सब्सिडी की राशि समय पर मिल जाती तो वह 2011-16 के दौरान 35,701.81 करोड़ रुपये ब्याज की बचत कर सकता था। उसने सुझाव दिया है कि निगम को सब्सिडी का पूरा आवंटन किया जाना चाहिए।
सरकारी ऑडीटर कैग का यह भी सुझाव है कि एफसीआइ को कैश क्रेडिट लिमिट समाप्त होने से पहले शॉर्ट-टर्म लोन केउपयोग की अनुमति के लिए खाद्य मंत्रलय के जरिये बैंकों के समूह से संपर्क करना चाहिए। अपनी रिपोर्ट में उसने यह भी कहा है कि एफसीआइ को बांड जारी करने के लिए फिर से मंजूरी लेनी चाहिए ताकि उसके पास सस्ते फंड प्राप्त करने का रास्ता खुल जाए।