बिहार में बाढ़: नदियां हुईं थोड़ी शांत, अबतक लील गईं 350 की जान
बिहार के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति थोड़ी स्थिर हुई है लेकिन कुछ जिलों में अभी भी बाढ़ की स्थिति यथावत है। बाढ़ का पानी घटने से अब उन इलाकों में महामारी फैलने की आशंका है।
पटना [राज्य ब्यूरो]। पिछले आठ दिनों से बाढ़ से परेशान एक करोड़ 27 लाख आबादी के लिए राहत की खबर है। नेपाल के जलग्र्रहण क्षेत्रों में बारिश थमने के साथ ही उत्तर बिहार की नदियां शांत होने लगी हैं। प्रभावित इलाकों से पानी धीरे-धीरे उतरने लगा है। हालांकि पीडि़तों की परेशानी अभी कम नहीं हुई है।
महामारी एवं जलजनित बीमारी से हिफाजत के लिए सरकार ने स्वास्थ्य महकमा को सतर्क किया है। राहत कार्यों में तेजी का निर्देश दिया गया है। क्षति का आकलन एवं राहत कार्यों की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को खुद बाढ़ से संबंधित विभागों के प्रमुखों के साथ बैठक करने वाले हैं। इस बीच सीएम ने रविवार को भी पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और पटना का हवाई सर्वे किया।
बाढ़ में मरने वालों की संख्या साढ़े तीन सौ से ऊपर पहुंच चुकी है। पानी उतरने के साथ सही तथ्य भी सामने आने लगे हैं। जो इलाके अभी भी पानी से घिरे हैं, वहां हेलीकॉप्टर के जरिए सूखा राशन गिराया जा रहा है। पूर्वी बिहार, कोसी और सीमांचल में अबतक 188 लोग डूब चुके हैं।
सबसे ज्यादा अररिया में तबाही है। यहां 60 लोगों की जान जा चुकी है। 43 शव बरामद भी किए जा चुके हैं। राहत की खबर है कि पानी कम होने के बाद विस्थापित घरों की ओर लौट रहे हैं। मुजफ्फरपुर के आसपास के जिलों में 152 लोगों की मौत हुई है। हालांकि आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बाढ़ में अबतक 253 लोगों के मरने की खबर है।
गोपालगंज के नए इलाकों में घुसा पानी
गोपालगंज के सिधवलिया प्रखंड में बाढ़ का पानी नए इलाकों में प्रवेश कर गया है। प्रखंड के मठिया, बनिया टोली, बखरौर सहित कई गांव पानी से घिर गए हैं। चीनी मिल भी जलमग्न है। कबीरपुर, हरपुर में बाढ़ से तबाही मची हुई है। रविवार को सेना ने बैकुंठपुर प्रखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत अभियान शुरू कर दिया है। बाढ़ के पानी में डूबने से एक वृद्ध और महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई।
दिख रहा नुकसान ही नुकसान
खगडिय़ा में आधारभूत संरचनाओं को काफी नुकसान पहुंचा है। डायवर्सन टूटने के कारण पीरनगरा का बेलदौर से सड़क संपर्क भंग हो गया है। बेलदौर नहर उदहा बासा कङ्क्षटग के पास टूट गई है। गंगा और बूढ़ी गंडक के जलस्तर में वृद्धि है। दोनों खतरे के निशान के करीब पहुंचने वाली हैं। पूर्वी चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर व शिवहर जिले के कुछ हिस्सों में परेशानी बरकरार है।
सुपौल में कोसी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव है। तटबंध के अंदर वाले गांवों में अधिक परेशानी है। सहरसा के कई इलाकों से तेजी से पानी निकल रहा है। विस्थापित अब भी ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। किशनगंज, पूर्णिया, मधेपुरा, अररिया में बाढ़ का पानी कम हो रहा है।
कटिहार अभी भी बेहाल
कटिहार जिले में बाढ़ की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। महानंदा में पानी कम हो रहा है, लेकिन गंगा और बरंडी के जलस्तर में वृद्धि हो रही है। गंगा के उफान पर होने के कारण इसका पानी महानंदा के रास्ते नये इलाकों में फैल रहा है। प्रभावित इलाकों के लोग सहमे हुए हैं। राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
फैक्ट फाइल
प्रभावित जिला : 18
कुल मौत : 253
प्रभावित प्रखंड : 171
पंचायत : 1965
आबादी : 1.27 करोड़
निष्क्रमित आबादी : 7.21 लाख
राहत शिविर : 1358
सामुदायिक रसोई : 2569
खाने वाले : 4.92 लाख
प्रभावित जिले
पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, कटिहार, मधेपुरा, सुपौल, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सहरसा, खगडिय़ा, सारण एवं समस्तीपुर।
- मृतकों की संख्या साढ़े तीन सौ से ऊपर पहुंची
- अब जलजमाव एवं महामारी फैलने का खतरा