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टूटे ट्रैक पर दौड़ी मालदा-इंटरसिटी एक्सप्रेस, एेसे बची 2000 यात्रियों की जान

मालदा रेलखंड पर सोमवार को बड़ा रेल हादसा टल गया। दानापुर मालदा इंटरसिटी एक्सप्रेस टूटी पटरी पर ही दौड़ी, लेकिन ड्राइवर की सूझबूझ से दो हजार यात्रियों की जान बच गई।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 14 Nov 2017 11:37 AM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2017 11:30 PM (IST)
टूटे ट्रैक पर दौड़ी मालदा-इंटरसिटी एक्सप्रेस, एेसे बची 2000 यात्रियों की जान
टूटे ट्रैक पर दौड़ी मालदा-इंटरसिटी एक्सप्रेस, एेसे बची 2000 यात्रियों की जान

भागलपुर [जेएनएन]। मालदा रेलखंड पर सबौर और लैलख स्टेशन के बीच सोमवार शाम बड़ा हादसा टल गया। रेलवे ट्रैक पर 292 किलोमीटर के छठे और सातवें खंभे के बीच छह इंच रेल लाइन टूट गई। शाम 5.45 बजे दानापुर-मालदा इंटरसिटी टूटी रेल लाइन पर दौड़ी और इंजन और पहला कोच गुजर गया।

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ड्राइवर और गार्ड ने सावधानी बरती और तत्काल ट्रेन रोक दी। इससे ट्रेन में सवार करीब 2000 लोग बाल-बाल बच गए। करीब सवा दो घंटे की मशक्कत के बाद टूटी पटरी को ज्वॉइंट लगाकर दुरुस्त किया गया। इसके बाद ट्रेन रात 8 बजे रवाना हुई।

मिली जानकारी के मुताबिक शाम 5.45 बजे दानापुर-मालदा इंटरसिटी लैलख की ओर जा रही थी। सबौर से निकलकर ट्रेन लैलख पहुंचने ही वाली थी कि रेलखंड के 292 किलोमीटर के छठे और सातवें पोल के बीच अचानक तेज आवाज हुई।

ड्राइवर ने आवाज सुनकर ट्रेन को रोकने की कोशिश की, लेकिन तब तक ट्रेन का इंजन और इंजन के पीछे लगा एसएलआर कोच आगे निकल चुका था। ट्रेन रूकी। ड्राइवर और गार्ड नीचे उतरे तो पता चला, रेल लाइन छह इंच तक टूट गई है।

बीच रास्ते में अचानक रूकी ट्रेन से यात्री उतरे तो उन्हें भी पता चल गया कि ट्रैक टूट चुका है। टूटे ट्रैक की जानकारी मिलते ही 14 कोच वाली ट्रेन में हंगामा मच गया। यात्री डर गए। सभी ट्रेन से नीचे उतर आए। ड्राइवर और गार्ड ने सभी को समझाया। उन्हें शांत करवाया। इसके बाद रेल कंट्राेल रूम को इसकी सूचना दी।

स्टेशन प्रबंधक ओंकार प्रसाद ने बताया कि रेल लाइन अचानक क्रेक हो गया। इससे सवा घंटे ट्रेन लैलख और सबौर रेल लाइन के बीच खड़ी रही। भागलपुर से इंजीनियरों की टीम भेजी गई और पटरी को ठीक कराया गया। इसके बाद ट्रेन का परिचालन सामान्य हुआ।

सूचना पाकर भागलपुर से पीडब्ल्यूआई केके राय के साथ टैक्निकल टीम मौके पर पहुंची। टूटे ट्रैक को देखा और काम शुरू किया। लेकिन शाम गहराने से अंधेरा पसरा तो काम में भी परेशानी हुई। चूंकि ट्रेन का कोच ट्रैक पर ही था, इसलिए इसे दुरुस्त करना और मुश्किल होने लगा। लेकिन टैक्निकल टीम ने दो घंटे की जद्दोजहद के बाद टूटे ट्रैक में ज्वॉइंट लगाए और ट्रैक दुरुस्त किया। इसके बाद रात 8 बजे ट्रेन रवाना हुई।


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