कैमरे से होगी सफाई की निगरानी
मुंगेर। अब जमालपुर स्टेशन हमेशा साफ और स्वच्छ दिखेगा। इसमें अब किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुंगेर। अब जमालपुर स्टेशन हमेशा साफ और स्वच्छ दिखेगा। इसमें अब किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रेलवे द्वारा निर्धारित समय और मानक के अनुरूप ही सफाई कार्य किया जाएगा। इसमें जरा सी भी लापरवाही बरती गई तो तो सीधे संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी। क्योंकि जमालपुर मॉडल रेलवे स्टेशन के सफाई व्यवस्था की निगरानी सीसी कैमरे के माध्यम से की जाएगी। इस दिशा में कवायद शुरू कर दी गई है। रेलवे बोर्ड ने भी इस संबंध में पिछले महीने सभी जोन के महाप्रबंधकों को पत्र लिखा है। इसके तहत शुरुआती दौर में ए वन और ए ग्रेड के स्टेशनों पर लगे क्लोज सर्किट कैमरे से सफाई व्यवस्था की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। इसके तहत पूर्व रेलवे के मालदा मंडल में आने वाले पांच स्टेशनों की सफाई की निगरानी की जायेगी। मालदा मंडल के मालदा, फरक्का, भागलपुर और जमालपुर सहित पांच स्टेशनों पर यह व्यवस्था आरंभ की जाएगी।
दो दिनों के रिकॉर्ड पर रहेगी नजर
मंडल मुख्यालय से प्रतिदिन अलग-अलग अधिकारी सफाई कार्य का निरीक्षण करेंगे। उनके द्वारा क्लोज सर्किट कैमरे के विगत दो दिनों का रिकॉर्ड देखा जाएगा। किस-किस प्लेटफार्म की किस समय सफाई की गई, इसकी भी जानकारी प्राप्त की जाएगी। वहीं यह भी परखा जाएगा कि प्लेटफॉर्म की सफाई मशीन से की गई है अथवा मैनुअली। सफाई के लिए फिनाइल या अन्य केमिकल का इस्तेमाल किया गया है या नहीं। यदि इस्तेमाल किया भी गया है, तो स्टैंडर्ड कंपनी का है या नहीं।
शिकायत के बाद खुली रेलवे की नींद
रेलवे बोर्ड के पास पिछले कुछ महीने से सफाई व्यवस्था को लेकर लगातार शिकायत पहुंच रही थी। निजी एजेंसी को सफाई व्यवस्था की जिम्मेवारी देने व सफाई कर्मी की संख्या बढ़ाए जाने के बावजूद कई जगहों से लगातार लापरवाही बरते जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही थी। इस पर पाबंदी लगाने के लिए यह निर्णय लिया गया। अब सीसी कैमरे से इस बात की स्पष्ट जानकारी मिल जाएगी कि किस प्लेटफार्म पर किस-किस समय सफाई कार्य में कितने मजदूर लगाए गए।
कोताही बरतने पर लगेगा जुर्माना
रेलवे बोर्ड के द्वारा सफाई व्यवस्था की निगरानी सीसी कैमरे से किए जाने के आदेश से ठेकेदारों के साथ कनीय अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। अलग-अलग दिन अलग-अलग अधिकारी फुटेज की जांच करेंगे तथा इसके बाद वे अपनी रिपोर्ट बोर्ड को भेजेंगे। इसके आधार पर ही ठेकेदारों को भुगतान किया जाएगा तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।