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Bihar News : खरीफ फसलों के बीज के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू, इस दिन तक किसान कर सकते हैं अप्‍लाई; पढ़ें डिटेल

ढ़ैंचा व धान सहित अन्य खरीफ फसल बीज के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। किसानों को ढ़ैंचा धान मक्का मोटा अनाज दलहन तेलहन एवं उद्यानिक फसलों के बीच समय पर उपलब्‍ध कराने के मकसद से खरीफ फसल 2024 के विभागीय योजनाओं के तहत आवेदन शुरू हो चुका है। किसान 10 जून तक ऑनलाइन पोर्टल से आवेदन कर सकते हैं।

By Pradeep Mandal Edited By: Arijita Sen Published: Tue, 23 Apr 2024 01:41 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2024 01:41 PM (IST)
ढैंचा व धान सहित अन्य खरीफ फसल बीज के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू।

जागरण संवाददाता, मधुबनी। किसानों के द्वारा खेतों में कृषि उपज बढ़ाने के लिए दिन प्रतिदिन अंधाधुंध रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का उपयोग किया जा रहा है। रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से फसलों की पैदावार में वृद्धि तो होती है, परन्तु जमीन की उर्वरा शक्ति दिन प्रतिदिन कम होती जाती है।

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जिसका मुख्य कारण रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक इस्तेमाल करना है। जिससे जमीन की पानी सोखने की क्षमता लगातार कम होती जा रही है, नतीजा जमीन के बंजर होने का खतरा बढ़ रहा है।

ऐसे में खेतों में रसायनिक उर्वरकों का कम उपयोग कर प्राकृतिक हरी खादों का उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। ढैंचा, लोबिया, उड़द, मूंग, बरसीम आदी कुछ मुख्य फसलें हैं, जिसका उपयोग हरी खाद बनाने में किया जाता है।

बीज के लिए किया जा रहा आवेदन

खरीफ फसल 2024 के विभागीय योजनाओं में विभिन्न फसल यथा ढ़ैंचा, धान, मक्का, मोटा अनाज, दलहन, तेलहन एवं उद्यानिक फसलों के बीज किसानों को समय पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ऑनलाइन आवेदन शुरू हो चुका है।

किसान 10 जून तक ऑनलाइन पोर्टल से आवेदन कर सकते हैं। 5 में से सभी प्रखंडों में प्राप्त आवेदन तथा आवंटन के आलोक में बीज वितरण शुरू कर दी जाएगी। बीज वितरण प्रक्रिया 5 में से 15 जून तक चलेगी।

ढैंचा एक अच्छी हरी खाद

ढैंचा फसल कम लागत में अच्छी हरी खाद का काम करती है। इससे भूमि को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन मिल जाता है, जिससे किसानों को अगली फसल में कम यूरिया की आवश्यकता होती है।

हरी खाद से भूमि में कार्बनिक पदार्थ बढ़ने से भूमि व जल संरक्षण तथा संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिलने से भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ जाती है।

ढैंचा की पलटाई कर खेत में सड़ाने से नाइट्रोजन, पोटाश, गंधक, कैलिशयम, मैगनीशियम, जस्ता, तांबा, लोहा आदि तमाम प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। जिससे फसलों की पैदावार तो बढ़ती है साथ ही कम रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता पड़ती है, जिससे कृषि की लागत भी कम हो जाती है। इसलिए कृषि विभाग प्रतिवर्ष खरीफ महाअभियान की शुरुआत से पूर्व ही किसानों को ढ़ैंचा बीज उपलब्ध कराया जाता है।

राज्य सरकार दे रही अनुदान: सरकार दे रही 90 प्रतिशत अनुदान

बिहार सरकार राज्य में भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए ढ़ैंचा फसल की खेती को बढ़ावा दे रही है। ढ़ैंचा बीज के लिए राज्य सरकार किसानों को 90 प्रतिशत अधिकतम 6300 रुपए प्रति कुंटल की दर से अनुदान दे रही है। शेष 10 प्रतिशत राशि किसानों को भुगतान करना है।

योजना के अनुसार किसान को 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अधिकतम एक हेक्टेयर के लिए ही बीज दी जा रही है। राज्य सरकार ने ढ़ैंचा बीज का मूल्य 8 हजार रुपए प्रति कुंटल रखा है।

बीते वर्ष 191.83 क्विंटल ढ़ैंचा बीज किया गया था वितरण: जिला कृषि विभाग को बीते वर्ष जिले के कुल 1412 किसानों के बीच 191.83 क्विंटल ढ़ैंचा का बीज वितरण किया था, जिसमें सर्वाधिक 14 क्विंटल ढ़ैंचा बीज 113 किसानों के बीच रहिका प्रखंड में तथा सबसे कम 4.48 क्विंटल ढ़ैंचा बीज 36 किसानों के लिए खुटौना प्रखंड को मिला था।

कैसे तैयार होता हरी खाद

कृषि विज्ञान केंद्र सुखेत के कृषि वैज्ञानिक डा. सुधीर कुमार ने बताया कि रबी फसल की कटाई के बाद खेत में 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से ढ़ैंचा का बीज छींटा जाता है। जरूरत पड़ने पर 10 से 15 दिनों के बाद एक बार हल्की सिंचाई कर ली जाती है। 55 से 60 दिन की अवस्था में हल चलाकर ढ़ैंचा के पौधों को खेत में मिला दिया जाता है।

इस तरह लगभग 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से हरी खाद उपलब्ध हो जाती है। हरी खाद बनाने की विधि में खाद को उसी खेत में उगाया जाता है जिसमें हरी खाद तैयार करनी होती है। इसमें दलहनी और गैर दलहनी फसल को उचित समय पर जुताई कर मिट्टी में अपघटन के लिए दबाया जाता है।

दलहनी फसलों की जड़े भूमि में सहजीवी जीवाणु का उत्सर्जन करती है और वातावरण में नाइट्रोजन का दोहन कर मिट्टी में स्थिरता बनाती है। आश्रित पौधों के उपयोग से भूमि में नाइट्रोजन शेष रह जाती है जो अगली फसल में उपयोग हो जाती है।

क्या कहते हैं पदाधिकारी

किसानों से ऑनलाइन बीज हेतु आवेदन प्राप्त करने से लेकर बीज की उपलब्धता एवं वितरण संबंधित विभिन्न प्रक्रियाओं का निष्पादन ऑनलाइन एप्प के माध्यम से किया जाता है। खरीफ फसल 2024 के अंतर्गत किसान बीज के लिए 10 जून तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं- ललन कुमार चौधरी, जिला कृषि पदाधिकारी मधुबनी

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