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Bihar Politics: नीतीश-सम्राट के दल मिले, अब दिल मिलने का इंतजार... सियासी 'खेल' में कौन मारेगा बाजी?

मुंगेर से राजग से जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह वर्तमान सांसद राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) का चुनाव लड़ना तय है। उधर बिहार में महागठबंधन दलों के बीच अबतक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। बावजूद राजद अपने नेताओं को सिंबल देकर क्षेत्र भेज रहा है। मुंगेर पर राजद और कांग्रेस दोनों की नजर है। कांग्रेस का तर्क है कि पिछले चुनाव में यह सीट उनके पास थी।

By Mukesh Kumar Edited By: Rajat Mourya Published: Fri, 22 Mar 2024 02:45 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2024 02:45 PM (IST)
नीतीश-सम्राट के दल मिले, अब दिल मिलने का इंतजार... सियासी 'खेल' में कौन मारेगा बाजी?

संवाद सहयोगी, लखीसराय। लोकसभा चुनाव की तारीख का एलान हो गया है। बिहार में एनडीए के बीच सीटों के बंटवारे की भी घोषणा हो गई है। मुंगेर लोकसभा सीट जदयू को मिली है। हालांकि, अबतक बिहार में भाजपा और जदयू ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की है।

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अबतक प्रत्याशियों के नामों के सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं। बावजूद मुंगेर से राजग से जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह वर्तमान सांसद राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) का चुनाव लड़ना तय है। उधर, बिहार में महागठबंधन दलों के बीच अबतक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। बावजूद राजद अपने नेताओं को सिंबल देकर क्षेत्र भेज रहा है। मुंगेर पर राजद और कांग्रेस दोनों की नजर है।

कांग्रेस का तर्क है कि पिछले चुनाव में यह सीट उनके पास थी। इस बार भी उन्हें ही मिलनी चाहिए, ताकि अगड़े का वोट भी लिया जा सके। वहीं, राजद यहां से नवादा के बाहुबली अशोक महतो की पत्नी कुमार अनिता को मैदान में उतारने की तैयारी में है। बिहार में गठबंधन और सरकार में बदलाव के बाद राजनीतिक समीकरण भी बदल गया है।

नीतीश-सम्राट के दल मिले, मगर दिल नहीं!

जदयू ने राजद से अलग होकर भाजपा के साथ मिलकर सरकार तो बना ली है, लेकिन दल मिलने के बावजूद दिल मिलने की चुनौती बरकरार है। बिहार में एनडीए सरकार बनने से पहले इस क्षेत्र का राजनीतिक परिदृश्य कुछ और था। भाजपा नेताओं द्वारा जदयू को कठघरे में खड़ा किया जा रहा था। छठ पर्व में शहर के पंजाबी मोहल्ला में हुई भीषण गोलीकांड और तिहरे हत्याकांड की घटना के बाद भाजपा और जदयू के बीच काफी तल्ख तेवर रहे।

वर्तमान डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने लखीसराय में आकर महाधरना भी दिया था। भाजपा और जदयू के जिलाध्यक्ष और कार्यकर्ताओं के बीच भी तल्खी बढ़ी। एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए गए, लेकिन अब सत्ता बदल गई है। बदले राजनीतिक समीकरण में भाजपा और जदयू एक साथ हो गई है, लेकिन पुरानी तल्खी का दर्द अभी मिटा नहीं है।

दोनों सीटें एनडीए के पास

दोनों दलों के नेता से लेकर कार्यकर्ता के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लखीसराय के दो विधानसभा में लखीसराय विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। यहां के विधायक विजय कुमार सिन्हा बिहार सरकार के डिप्टी सीएम हैं। सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट पर राजद विधायक प्रहलाद यादव का कब्जा है। हालांकि, विधायक प्रहलाद यादव एनडीए सरकार के फ्लोर टेस्ट में राजद को छोड़ एनडीए के साथ हो गए हैं। ऐसे में दोनों विधानसभा सीट फिलहाल एनडीए के कब्जे में है।

बीजेपी-जेडीयू में असमंजस की स्थिति

मुंगेर से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह सांसद हैं। बदली राजनीति और भाजपा जदयू के बीच गठबंधन के बाद भी जिले में एनडीए कार्यकर्ताओं के बीच दूरी बनी हुई है। मुंगेर सीट से एनडीए प्रत्याशी के नाम घोषित नहीं होने से भी भाजपा और जदयू के नेता और कार्यकर्ता पर्दे के पीछे अपनी-अपनी पार्टी का राग अलाप रहे हैं।

इधर, लोजपा (रामविलास) भी राजग का हिस्सा है। इस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रविशंकर प्रसाद सिंह उर्फ अशोक सिंह का जदयू खासकर सांसद के साथ बेहतर समन्वय नहीं है। अशोक सिंह पहले ललन सिंह के हनुमान हुआ करते थे, लेकिन गत विधानसभा चुनाव से ही वे अलग राह अपना रखे हैं।

जदयू प्रत्याशी रामानंद मंडल के खिलाफ चुनावी मैदान में अपनी दमदार उपस्थित दर्ज कराए। हालांकि, उनकी हार हुई, लेकिन राजनीतिक समीकरण विरोध वाला ही रहा। इस चुनाव में वे भी गठबंधन में हैं, लेकिन अबतक समन्वय समिति की बैठक में एकता का माहौल नहीं दिख रहा है। उहापोह ओर असमंजस की स्थिति में फंसे चुनावी वैतरणी पार करने वाले कार्यकर्ता भी अपने शीर्ष नेता के ग्रीन सिग्नल का इंतजार कर रहे हैं।

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