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रेल मंडल को सशक्त करने की योजना पर ग्रहण

कटिहार [नीरज कुमार]। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे का महत्वपूर्ण कटिहार रेल मंडल को सशक्त ब

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Nov 2017 06:57 PM (IST)Updated: Wed, 15 Nov 2017 06:57 PM (IST)
रेल मंडल को सशक्त करने की योजना पर ग्रहण

कटिहार [नीरज कुमार]। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे का महत्वपूर्ण कटिहार रेल मंडल को सशक्त बनाने की योजना पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है। एनजेपी को कटिहार रेल मंडल के समकक्ष लाने की तैयारी के साथ ही कटिहार रेलमंडल का रुतबा और दायरा कम किए जाने की साजिश रचे जाने की बू भी आ रही है। चार दिन पूर्व ही एनजेपी में नए अपर रेल मंडल प्रबंधक का पद सृजित करते हुए वहां एडीआरम की पदस्थापना कर दी गई। एनजेपी में एडीआरएम का पद सृजित होने से अब बंगाल के क्षेत्र में आने वाले रेल मंडल के हिस्से में रेल संबंधी कामों का निपटारा एनजेपी के एडीआरएम स्तर से कराया जाएगा।

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डीआरएम स्तर से होने वाले कामों से संबंधित फाइलों का निपटरा ही अब कटिहार स्थित मंडल रेल कार्यालय में होगा। इस कारण रेल मंडल मुख्यालय होने के बावजूद वित्तीय अधिकार, विभाग एवं कर्मियों की संख्या में भी कटौती हो जाएगी। पिछले कुछ वर्षों से कटिहार रेल मंडल का दायरा कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है। पूर्व में एनजेपी में रेल एरिया मैनेजर का पद सृजित किया गया। बाद के वर्षों में वहां सहायक वाणिज्य प्रबंधक स्तर के पदाधिकारी को भी पदस्थापित किया गया, लेकिन एडीआरम की पदस्थापना चौंकाने वाली खबर है। रेल संबंधी मामलों के जानकारों का मानना है कि एनजेपी में एडीआरएम के बैठने से रेल मंडल मुख्यालय के अधिकारों में स्वत: कमी आ जाएगी। धीरे-धीरे रेल मंडल के बंगाल क्षेत्र में पड़ने वाले हिस्से को एनजेपी से टैग कर वहां रेल मंडल कार्यालय बनाने की बात भी चर्चा में है। कटिहार रेलमंडल को छोटा कर इसे हाजीपुर जोनल मुख्यालय से टैग करने की बात भी कही जा रही है। यद्यपि रेलवे के वरीय अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बताने से इन्कार करते हैं। बताते चलें कि रेलमंडल मुख्यालय होने के बावजूद यहां के लिए स्वीकृत रेल भर्ती बोर्ड कार्यालय को सिलीगुड़ी ले जाया गया। पूर्व में कटिहार में 108 इंजन के लिए लोको शेड हुआ करता था। डीजल इंजन का परिचालन शुरू होने के बाद लोको शेड की जगह डीजल शेड भी मालदा स्थानांतरित कर दिया गया। इलेक्ट्रिक इंजन परिचालन शुरू होने के बाद इलेक्ट्रिक शेड भी एनजेपी ले जाए जाने की बात भी चर्चा में है। साहिबगंज एवं पाकुड़ से समीप होने एवं जल संसाधन की मजबूत स्थिति के बाद भी रेलवे के कंक्रीट स्लीपर फैक्ट्री बंगाल ले जाए जाने की तैयारी भी है। कटिहार रेलमंडल का दायरा छोटा होने एवं कर्मचारियों की संख्या घटने का सीधा असर यहां की अर्थव्यवस्था एवं बाजार पर भी होगा।


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