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कोरोना वायरस के संक्रमण से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से नर्वस सिस्टम होता है प्रभावित

शोधकर्ता माइकल जंडी ने कहा कि यह ऐसी वैश्विक महामारी साबित हो सकती है जिससे दिमाग को खासा नुकसान पहुंचता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 07:30 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 07:30 PM (IST)
कोरोना वायरस के संक्रमण से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से नर्वस सिस्टम होता है प्रभावित
कोरोना वायरस के संक्रमण से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से नर्वस सिस्टम होता है प्रभावित

लंदन, प्रेट्र। एक नए शोध के मुताबिक नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण से स्नायु तंत्र (नर्वस सिस्टम) प्रभावित होता है। इसके चलते नर्वस सिस्टम संबंधी कई रोग हो जाते हैं जैसे-बेहोशी में बोलना, दिमाग में सूजन, स्ट्रोक, नसें क्षतिग्रस्त होना आदि शामिल है। रोगों के यह सभी लक्षण सीधे कोविड-19 के कारण नहीं होते, लेकिन इसके कारण प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर होने से नर्वस सिस्टम के लिए खतरा बढ़ जाता है।

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कोरोना का शिकार होने पर जलन और सूजन की शिकायत होती है, जिसे ऐडम कहते हैं

जरनल ब्रेन में प्रकाशित इस शोध में कोरोना संक्रमण के कारण एक दुर्लभ स्थिति पैदा होती है जिसमें जलन और सूजन की शिकायत होती है। इस दुर्लभ स्थिति को ऐडम कहते हैं। यह स्थिति इस वैश्विक महामारी का शिकार होने पर ही पैदा होती है।

कोरोना के वयस्क मरीज में ऐडम के लक्षण

ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कालेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं समेत कई वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने हर माह एक वयस्क कोरोना मरीज को ऐडम के लक्षणों के साथ देखा है, लेकिन बाद में देखा गया है कि यह लक्षण हर हफ्ते एक वयस्क मरीज में नजर आने लगे। यह निश्चित रूप से चिंता की बात है।

कोरोना मरीजों में नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाले लक्षण

शोध के अनुसार नेशनल हास्पिटल फॉर न्यूरोलॉजी एंड न्यूरोसर्जरी में कोरोना मरीजों में नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाले लक्षण 43 लोगों (16-86 साल) में नजर आए हैं।

कोरोना मरीजों को सांस लेने में होती है अत्यधिक परेशानी

शोध में कुछ मरीजों में सांस लेने में अत्यधिक परेशानी देखी गई और नर्वस सिस्टम से जुड़ी तकलीफें भी प्रमुख थीं। शोध में दस मामले दिमागी तकलीफ के दिखे जिसमें कोरोना मरीज बेहोशी में बड़बड़ाने लगता है। बारह मामले दिमाग में सूजन और आठ मामले स्ट्रोक और आठ अन्य मामले नसों के क्षतिग्रस्त होने के थे। कई बार मरीजों में सांस लेने की तकलीफ अधिक नजर नहीं आती, लेकिन नर्वस सिस्टम काफी हद तक प्रभावित होता है। सह शोधकर्ता माइकल जंडी ने कहा कि यह ऐसी वैश्विक महामारी साबित हो सकती है जिससे दिमाग को खासा नुकसान पहुंचता है।


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