विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर ब्रिटेन में सुनवाई शुरू, 14 तक चलेगी सुनवाई
प्रत्यर्पण केस की सुनवाई के दौरान माल्या को लेकर ब्रिटेन के दो मशहूर वकीलों के बीच होने वाली बहस पर लोगों का नजर है।
लंदन, एजेंसी। कई बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने, धोखाधड़ी और मनीलांड्रिंग के केस में भारत में वांछित कारोबारी विजय माल्या के स्वदेश प्रत्यर्पण को लेकर सुनवाई सोमवार को ब्रिटेन में शुरू हुई। अभियोजन पक्ष ने अदालत में दलील दी कि माल्या को धोखाधड़ी के मामले का जवाब देना होगा।
कोर्ट में पेशी से पूर्व माल्या ने अपने खिलाफ आरोपों को मनगढंत और निराधार बताया। माल्या को भारत को सौंपना है या नहीं, इस पर लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में 14 दिसंबर तक सुनवाई चलेगी। अभियोजन की तरफ से क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के वकील मार्क समर्स ने भारत का पक्ष रखा। उन्होंने कहा, 'माल्या ने कर्ज हासिल करने के लिए बैंकों को कैसे गुमराह कर प्रावधानों से खिलवाड़ किया, हम इस ओर अदालत का ध्यान आकषिर्षत करना चाहते हैं।'
उन्होंने 2009 में आईडीबीआई बैंक से घाटे में चल रही किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा कर्ज हासिल करने की एक घटना का उल्लेख करते हुए माल्या पर धोखाधड़ी का आरोप मढ़ा। इस पर माल्या की वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एम्मा लुईस अरबुथनाट से कहा कि अभियोजन की दलीलों का वह पहले ही दिन जवाब देना चाहती हैं। लेकिन अभियोजन ने कहा कि उसे घटना का पूरा ब्योरा देना है, इसलिए जल्दबाजी में बात खत्म नहीं करेगी। इस दौरान माल्या कठघरे में बैठा रहा। बचाव पक्ष ने उसे पास बैठाने की मांग की, लेकिन जज ने आग्रह को नहीं माना।
सीबीआई की टीम भी थी कोर्ट में
जज अरबुथनाट की अदालत को ही माल्या प्रत्यर्पण मामले की पूरी सुनवाई करनी है। इसी अदालत ने 61 वर्षीय कारोबारी को जमानत दी है। किंगफिशर एयरलाइंस का प्रमुख रहा माल्या अप्रैल में अपनी गिरफ्तारी के बाद जमानत पर है। वह 2 मार्च, 2016 को भारत से भागकर ब्रिटेन पहुंचा था। फिलहाल वह लंदन से 30 मील दूर हर्टफोर्डशायर स्थित अपने लेडीवाक फार्म हाउस में रह रहा है। भारत से लंदन पहुंची सीबीआई व ईडी की चार सदस्यीय टीम के सदस्य भी सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद थे।
फैसला जनवरी पहले हफ्ते तक आने की उम्मीद
जानकारों का कहना है कि माल्या के प्रत्यर्पण पर अदालत अगले वर्ष जनवरी के पहले हफ्ते तक ही कोई फैसला सुना सकती है। अगर प्रत्यर्पण आग्रह के पक्ष में फैसला आता है तो ब्रिटेन के गृह मंत्री को दो महीने के अंदर माल्या को नई दिल्ली के हवाले करने का आदेश देना होगा। हालांकि इस दौरान फैसले के खिलाफ उच्च अदालतों में अपील करने का विकल्प विजय माल्या के पास होगा। कहा जा रहा है कि सुनवाई के दौरान भारत में जेलों की खराब स्थिति के आधार पर बचाव पक्ष माल्या के लिए राहत की मांग कर सकता है।
दिग्गज वकीलों के बीच होगी बहस
प्रत्यर्पण केस की सुनवाई के दौरान माल्या को लेकर ब्रिटेन के दो मशहूर वकीलों के बीच होने वाली बहस पर लोगों का नजर है। नामचीन बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमरी की टीम माल्या का बचाव कर रही हैं। क्लेयर को ब्रिटेन में आपराधिक एवं धोखाधड़ी कानून का विशेषज्ञ वकील माना जाता है। मुकदमे के दौरान क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) की टीम भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रही है। इसके लिए सीपीएस ने प्रत्यर्पण एवं अंतरराष्ट्रीय कानूनी मामलों के विशेषज्ञ बैरिस्टर मार्कसमर्स को खासतौर पर अनुबंधित किया है।
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