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UK General Election 2019: ब्रिटेन में बीते 5 साल में तीसरी बार आम चुनाव, कई मायनों में अहम

प्रधानमंत्री को जनता द्वारा सीधे वोट नहीं दिया जाता है। या तो वह विजेता पार्टी के सांसदों द्वारा चुना जाता है और रानी द्वारा नियुक्त किया जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 08:58 AM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 09:11 AM (IST)
UK General Election 2019: ब्रिटेन में बीते 5 साल में तीसरी बार आम चुनाव, कई मायनों में अहम
UK General Election 2019: ब्रिटेन में बीते 5 साल में तीसरी बार आम चुनाव, कई मायनों में अहम

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आज ब्रिटेन में आम चुनाव हैं और कल नतीजे भी आ जाएंगे। बीते पांच साल यह तीसरा आम चुनाव है। कंजरवेटिव पार्टी के बोरिस जॉनसन और लेबर पार्टी के जेरेमी कॉर्बिन के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। ब्रिटेन की कुल आबादी करीब छह करोड़ है। इस आबादी में करीब 2.5 फीसद भारतीय हैं। इस लिहाज से जीत में भारतीय मूल के मतदाताओं की अहम भूमिका होगी। चुनाव में खड़े हुए 3,322 उम्मीदवारों के लिए 4.6 करोड़ मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे।

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हाउस ऑफ कॉमन्स क्या है?

यह संसद का लोकतांत्रिक रूप से चुना गया सदन है, जिसका दायित्व नीति और कानून बनाना होता है। ब्रिटेन की जनता सांसदों को चुनती है, जो हाउस ऑफ कॉमन्स (निचले सदन) में उनके हितों और उनकी चिंताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

चुनाव क्षेत्रों की संख्या

650 संसदीय चुनाव क्षेत्र हैं और इनमें से हर क्षेत्र से एक सांसद हाउस ऑफ कॉमन्स में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।

ऐसे चुनते हैं प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री को जनता द्वारा सीधे वोट नहीं दिया जाता है। या तो वह विजेता पार्टी के सांसदों द्वारा चुना जाता है और रानी द्वारा नियुक्त किया जाता है, जो उनकी सलाह का पालन करने के लिए बाध्य होता है।

कौन दे सकता है वोट?

हर वो व्यक्ति वोट डाल सकता है, जो:

  • ब्रिटिश नागरिक हो
  • 18 साल या उससे अधिक उम्र का व्यक्ति वोट डाल सकता है
  • आयरलैंड, कॉमनवेल्थ देशों का नागरिक हो और ब्रिटेन में रह रहा हो

सरकार का गठन

बहुमत के लिए 326 का आंकड़ा है। बहुमत दल का नेता प्रधानमंत्री बनता है। यदि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है, तो सर्वाधिक सीटों वाली पार्टी अल्पसंख्यक सरकार बना सकती है या गठबंधन सरकार बना सकती है।

क्या हैं चुनावी मुद्दे

2015 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) और अप्रवासन मतदाताओं के लिए सबसे बड़े मुद्दे थे। अब ब्रेक्जिट एक बहुत बड़ा मुद्दा है।

कई मायनों में अहम

लेबर पार्टी ने भारतीय मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि सत्ता में आने पर वह जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए औपचारिक रूप से माफी मांगेगी। साथ ही स्कूलों के पाठ्यक्रमों में ब्रिटिश राज के अत्याचारों की पढ़ाई को भी शामिल किया जाएगा। वहीं कंजर्वेटिव पार्टी ने सोशल मीडिया पर्र हिंदी में वीडियो शेयर किया है, जिसमें बोरिस जॉनसन को जिताने और लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन के विरोध में कई बातें सुनाई देती हैं।

कश्मीर भी बढ़ा मुद्दा

ब्रिटेन के अधिकतर सांसद पाकिस्तानी मूल के हैं और लेबर पार्टी के हैं। उनका कहना है कि भारत ने जो अनुच्छेद 370 हटाया है, वह गैर-कानूनी है। वहीं भारतीयों का विचार है कि लेबर पार्टी का झुकाव मुसलमानों की तरफ ज्यादा है और वो भारतीयों के पक्ष में नहीं हैं। लेबर पार्टी ने कश्मीर में कथित तौर पर मानवाधिकार की बहाली को लेकर एक प्रस्ताव पास किया था।

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