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आइएस वधू शमीमा की वापसी रोकने को सुप्रीम कोर्ट जाएगी ब्रिटिश सरकार, जानें पूरी कहानी

ब्रिटिश सरकार को हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की अनुमति मिल गई है जिसमें आइएस वधू को नागरिकता के लिए केस लड़ने का अधिकार दिया गया था।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 07:47 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 03:03 AM (IST)
आइएस वधू शमीमा की वापसी रोकने को सुप्रीम कोर्ट जाएगी ब्रिटिश सरकार, जानें पूरी कहानी
आइएस वधू शमीमा की वापसी रोकने को सुप्रीम कोर्ट जाएगी ब्रिटिश सरकार, जानें पूरी कहानी

लंदन, पीटीआइ। ब्रिटेन में सरकार को हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की अनुमति मिल गई है जिसमें आइएस वधू को ब्रिटेन आकर अपनी नागरिकता छीने जाने के खिलाफ मुकदमा लड़ने का अधिकार दिया गया था। आइएस वधू शमीमा बेगम (20) वह युवती है जो 2015 में स्कूल में साथ पढ़ने वाली दो सहेलियों के साथ लंदन से भागकर आतंकी संगठन आइएस में शामिल होने सीरिया गई थी। बाद में अपने कारनामों के चलते वह आइएस वधू के नाम से बदनाम हुई।

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शमीमा बांग्लादेश में पैदा हुई ब्रिटिश नागरिक थी। आतंकी संगठन में उसके कारनामों की जानकारी मिलने पर ब्रिटिश सरकार ने उसकी नागरिकता छीन ली थी। इसी के साथ उसके ब्रिटेन में प्रवेश पर रोक लग गई थी। अपील कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में ब्रिटिश सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील का अधिकार दिया है। कहा है कि यह मामला जनहित से जुड़ा हुआ है, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ही मामले पर फैसला करे।

आतंकी महिला के पक्ष में आए आदेश के खिलाफ अपील करने गए गृह मंत्रालय के अधिकारी सर जेम्स एडी ने कोर्ट में कहा, जो व्यक्ति नागरिकता से वंचित कर दिया जाता है, वह कोर्ट में याचिका दायर नहीं कर सकता। क्योंकि देश की किसी भी अदालत में याचिका दायर करने का अधिकार सिर्फ नागरिक को या समझौते के आधार पर विदेशी सरकार को होता है। तर्को को सुनकर अपील कोर्ट में महिला न्यायाधीश की अगुआई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपनी करने की सरकार की मांग मान ली। इस पीठ में भारतीय मूल के न्यायाधीश रबिंदर सिंह भी थे। अपील कोर्ट ने शमीमा की अनुपस्थिति में उसके वकील को भी सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की अनुमति दी है।

शमीमा के पक्ष में फैसला जुलाई की शुरुआत में आया था। उसमें उसे ब्रिटेन आकर सरकार से अपनी नागरिकता बहाल करने के लिए कानूनी लड़ाई का अधिकार दिया गया था। शमीमा जब सहेलियों के साथ सीरिया भागी थी, तब उसकी उम्र महज 15 साल की। सीरिया में आइएस की हार के बाद वह कुर्द लड़ाकों के हाथ आ गई। शमीमा अब सीरिया में कुर्द लड़ाकों की देखरेख वाले बंदी शिविर में रह रही है। वहीं से उसने अपनी ब्रिटिश नागरिकता बहाल किए जाने की याचिका दायर की थी। गृह मंत्री प्रीति पटेल ने देश के लिए खतरनाक शमीमा बेगम को ब्रिटेन में प्रवेश की अनुमति देने से स्पष्ट इन्कार किया है।


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