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कल से ब्रिटेन के कोर्ट में शुरू होगी माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई

कोर्ट में माल्या की तरफ से बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमेरी के नेतृत्व में वकीलों की टीम पैरवी करेगी। सोमवार को मामले की सुनवाई शुरुआती दलीलों के साथ शुरू होगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 03 Dec 2017 05:14 PM (IST)Updated: Sun, 03 Dec 2017 05:14 PM (IST)
कल से ब्रिटेन के कोर्ट में शुरू होगी माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई
कल से ब्रिटेन के कोर्ट में शुरू होगी माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई

लंदन, प्रेट्र : शराब कारोबारी विजय माल्या के प्र‌र्त्यपण मामले की सुनवाई यहां के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में सोमवार से शुरू होगी। माल्या विभिन्न बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में भारत में वांछित हैं। वह मार्च 2016 से ब्रिटेन में रह रहे हैं। इस मामले में लंदन की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था लेकिन बाद में 650,000 पाउंड (करीब 5.65 करोड़ रुपये) की जमानत पर छोड़ दिया गया।

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कोर्ट में माल्या की तरफ से बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमेरी के नेतृत्व में वकीलों की टीम पैरवी करेगी। सोमवार को मामले की सुनवाई शुरुआती दलीलों के साथ शुरू होगी। इसके बाद विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉ. बी हम्फ्रेज की गवाही होगी। माल्या की तरफ से अन्य गवाहों में फोर्स इंडिया फार्मूला वन रेसिंग टीम की मुख्य एकाउंटेंट मार्गरेट स्वीनी, भारतीय विधि प्रणाली के विशेषज्ञ प्रोफेसर लाउ और चिकित्सक और स्कॉटलैंड जेल व्यवस्था के पूर्व चिकित्सा अधिकारी डॉ. एलन मिशेल शामिल होंगे। अक्टूबर में सट्टेबाज संजीव चावला के प्रत्यर्पण मामले में डॉ. मिशेल की गवाही का काफी प्रभाव पड़ा था।

वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जेल में मानवाधिकार उल्लंघन के आधार पर चावला के प्रत्यर्पण को खारिज कर दिया था। माल्या के मामले में पूर्व में सुनवाई के दौरान चीफ मजिस्ट्रेट एम्मा लुइस अर्बुथनॉट ने जेल की स्थितियों को लेकर चिंता जताई थी। भारत की तरफ से पेश क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कोर्ट को प्रत्यर्पण के बाद माल्या की सुरक्षा को लेकर भारतीय अधिकारियों द्वारा आश्वस्त किए जाने की जानकारी दी। जज अर्बुथनॉट की अध्यक्षता में माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई होगी। सुनवाई 14 दिसंबर तक सूचीबद्ध है। हालांकि इस मामले में अगले साल की शुरुआत में फैसला आने की उम्मीद है। माल्या के प्रत्यर्पण के पक्ष में फैसला आने के बाद ब्रिटेन के गृह मंत्री को दो महीने के भीतर प्रत्यर्पण का आदेश देना होगा। हालांकि प्रत्यर्पण आदेश जारी होने से पहले यह मामला कई कोर्ट अपील से होकर गुजरेगा। भारत और ब्रिटेन के बीच 1992 में प्रत्यर्पण संधि हुआ था लेकिन अब तक केवल एक ही प्रत्यर्पण हुआ है।

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