दो एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं में दिखी कोरोना की रोकथाम की संभावना, जानें कैसे करती हैं काम
वैज्ञानिकों ने पाया है कि सेलेकॉक्सिब और कारप्रोफेन नामक दो एंटी-इंफ्लेमेटोरी दवाएं कोरोना वायरस की रोकथाम में कारगर भूमिका निभा सकती हैं। जानें कैसे...
लंदन, पीटीआइ। कोरोना वायरस (कोविड-19) से इस समय लगभग पूरी दुनिया जूझ रही है। इस महामारी की काट खोजने के प्रयास में कई उपचार और वैक्सीन (टीका) पर तेज गति से शोध किए जा रहे हैं। इसी कवायद में शोधकर्ताओं को दो एंटी-इंफ्लेमेटोरी दवाओं में इस खतरनाक वायरस की रोकथाम करने की संभावना दिखी है। उन्होंने पाया कि ये दवाएं एक ऐसे एंजाइम को रोक सकती हैं, जो कोरोना वायरस की प्रतिकृति में अहम भूमिका निभाता है। इन दवाओं में एक इंसानों और दूसरी पशुओं के उपचार में काम आती है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मोलेक्यूलर साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कंप्यूटर तकनीक के जरिये मानव और पशु चिकित्सा के लिए विविध ड्रग एजेंसियां द्वारा स्वीकृत 6,466 दवाओं का विश्लेषण किया गया। स्पेन की यूनिवर्सिटी रोविरा के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में इस बात पर गौर किया कि क्या इन दवाओं के उपयोग से वायरस एंजाइम (एम-प्रो) के मुख्य प्रोटीज को रोका जा सकता है। एम-प्रो नामक एंजाइम कोरोना वायरस की प्रतिकृति में अनिवार्य भूमिका निभाता है।
वैज्ञानिकों ने पाया कि मानव और पशु चिकित्सा में काम आने वाली सेलेकॉक्सिब और कारप्रोफेन नामक दो एंटी-इंफ्लेमेटोरी दवाएं इस एंजाइम पर अंकुश लगा सकती हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 के खिलाफ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के समन्वय से किए जा रहे कुछ परीक्षणों में भी इसी एंजाइम को साधा जा रहा है। इन परीक्षणों में लोपिनवीर और रिटोनवीर जैसी दवाओं का उपयोग किया जा रहा है। ये दवाएं एचआइवी के उपचार के लिए तैयार की गई थीं।