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ब्रेग्जिटः ब्रिटिश पीएम थेरेसा मे ने संसद में हासिल किया विश्वास मत

टेरीजा मे के समर्थन में 200 कंजर्वेटिव सांसदों ने वोट किया लेकिन 117 मत उनके खिलाफ पड़े। संसद में मिले पर्याप्त समर्थन के चलते वह फिलहाल अपने पद पर बनी रह सकती हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 10:33 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 10:06 AM (IST)
ब्रेग्जिटः ब्रिटिश पीएम थेरेसा मे ने संसद में हासिल किया विश्वास मत
ब्रेग्जिटः ब्रिटिश पीएम थेरेसा मे ने संसद में हासिल किया विश्वास मत

लंदन, प्रेट्र । ब्रिटेन में ब्रेग्जिट मुद्दे पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने संसद में विश्वास मत हासिल कर लिया है। हालांकि, थेरेसा मे को अपने एक तिहाई साथियों का सहयोग नहीं मिला। उनके खिलाफ बुधवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।

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टेरीजा मे के समर्थन में 200 कंजर्वेटिव सांसदों ने वोट किया लेकिन 117 मत उनके खिलाफ पड़े। संसद में मिले पर्याप्त समर्थन के चलते वह फिलहाल अपने पद पर बनी रह सकती हैं। रिजल्ट घोषित होने के बाद टेरीजा ने मीडिया से कहा कि संसद में सहयोग के लिए सांसदों की आभारी हैं। उन्होंने कहा कि मेरे साथ पर्याप्त समर्थन रहा। मेरे समर्थन में उतरे सांसदों ने जो कहा मैं उस पर गौर करूंगी।

बता दें कि टेरीजा मे के खिलाफ बुधवार रात को संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। बुधवार को ही इस प्रस्ताव पर गुप्त मतदान हुआ और कुछ देर बाद इसके नतीजों का एलान कर दिया गया। इससे पहले माना जा रहा था कि ब्रेक्जिट योजना पर टेरीजा को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि टेरेसा के सामने ब्रेक्जिट मामले में चुनौतियां तब शुरू हुईं जब संसद के 48 कंजर्वेटिव सदस्यों ने 1922 की समिति के समक्ष वोट मांगने के लिए पत्र प्रस्तुत किए। टेरीजा मे ने प्रधानमंत्री बनने के कुछ दिनों बाद ही 2016 में यूरोपीय संघ छोड़ने के लिए वोट किया था जिसकी वजह से उनकी पार्टी में काफी आलोचना भी हुई थी।

इससे पहले टेरीजा मे सोमवार को आखिरी बार ब्रेक्जिट पर अपने फैसले को लेकर सांसदों को मनाने की कवायद शुरू की थी। लेकिन इसका कुछ खास रिस्पांस नहीं मिला था। ब्रेक्जिट ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने की प्रक्रिया है। इसी मुद्दे पर टेरीजा मे प्रधानमंत्री बनी हैं। टेरीजा ने नवंबर में ब्रसेल्स में अलगाव से संबंधित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज पर दस्तखत किए थे।

पिछले महीने ब्रसेल्स के साथ हस्ताक्षर किए गए मसौदे पर मंगलवार को संसद में उनकी सरकार को हार का सामना करना पड़ा है। यह मसौदा इस आधार को लेकर था, जिसके बदौलत 46 साल बाद द्वीप राष्ट्र अपने मुख्य व्यापारिक भागीदार का साथ छोड़ने वाला है।


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