पिछली सदी की शुरुआत से ही गर्म होने लगा आर्कटिक, जानिए कितने डिग्री सेल्सियस बढ़ गया समुद्र का तापमान
समुद्री सूक्ष्मजीवों में पाए जाने वाले रासायनिक लक्षणों के जरिये शोधकर्ताओं ने पाया कि आर्कटिक महासागर पिछली शताब्दी की शुरुआत में तब तेजी से गर्म होना शुरू हो गया था जब अटलांटिक से गर्म और खारा पानी बह रहा था।
लंदन, एएनआइ। हमारी धरती को वर्तमान में कई संकटों का सामना करना पड़ रहा है। इसी में से एक है ग्लोबल वार्मिग। इसे रोकने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन चिंता बनी हुई है। अब इस दिशा में किए गए एक नवीन अध्ययन में जो परिणाम सामने आए हैं वो इस चिंता को और बढ़ाने वाले हैं। इस नवीन अध्ययन में बताया गया है कि आर्कटिक महासागर 20वीं सदी की शुरुआत से ही गर्म होना शुरू हो गया है। यानी अभी तक अध्ययन जो बताते रहे हैं उससे भी एक दशक पूर्व ही आर्कटिक महासागर के गर्म होने की शुरुआत हो चुकी थी। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
इस तरह किया अध्ययन
शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने आर्कटिक महासागर का द्वार कहे जाने वाले फ्रैम स्ट्रेट नामक क्षेत्र में अध्ययन किया जो ग्रीनलैंड और स्वालबार्ड के बीच स्थित है। समुद्री सूक्ष्मजीवों में पाए जाने वाले रासायनिक लक्षणों के जरिये शोधकर्ताओं ने पाया कि आर्कटिक महासागर पिछली शताब्दी की शुरुआत में तब तेजी से गर्म होना शुरू हो गया था जब अटलांटिक से गर्म और खारा पानी बह रहा था। इस घटना को अटलांटिसीकरण कहा जाता है।
दो डिग्री सेल्सियस बढ़ गया तापमान
शोधकर्ताओं के मुताबिक, 1900 के बाद से समुद्र का तापमान लगभग दो डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है, जबकि समुद्री बर्फ घटी है और लवणता बढ़ गई है। ये परिणाम आर्कटिक महासागर के अटलांटिसीकरण पर पहला ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हैं और उत्तरी अटलांटिक के साथ एक संबंध प्रकट करते हैं जो पहले की तुलना में बहुत मजबूत है। यह संबंध आर्कटिक जलवायु परिवर्तनशीलता को आकार देने में सक्षम है जो समुद्री बर्फ के कम होने और वैश्विक समुद्र के स्तर में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि ध्रुवीय बर्फ की चादरें पिघलती रहती हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया के सभी महासागर गर्म हो रहे हैं, लेकिन आर्कटिक महासागर सबसे तेजी से गर्म हो रहा है।
सबसे चिंताजनक बात
कैंब्रिज के भूगोल विभाग में कार्यरत और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डा. फ्रांसेस्को मस्किटिएलो के मुताबिक, प्रतिक्रिया तंत्र के कारण आर्कटिक में ग्लोबल वार्मिग की दर वैश्रि्वक औसत से दोगुने से भी अधिक है। उपग्रह से प्राप्त माप के आधार पर हम जानते हैं कि आर्कटिक महासागर लगातार गर्म हो रहा है, विशेष रूप से पिछले 20 वषरें में।
यह है वजह
आर्कटिक के गर्म होने के कारणों में से एक वजह अटलांटिसीकरण है, लेकिन उपकरण डाटा जो इस प्रक्रिया को ट्रैक कर सकते हैं, जैसे कि उपग्रह, केवल 40 साल पीछे जाते हैं। वर्तमान में जैसे-जैसे आर्कटिक महासागर गर्म होता जा रहा है, वैसे-वैसे धु्रवीय क्षेत्र की बर्फ पिघलती जा रही है, जिसकी वजह से वैश्विक समुद्र का स्तर प्रभावित हो रहा है। जैसे-जैसे बर्फ पिघलती जा रही है, वैसे-वैसे समुद्र की सतह पर सूर्य के प्रकाश का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। इससे तापमान बढ़ता है। इस तरह यह पूरी प्रक्रिया तेजी से आर्कटिक की बर्फ के लिए नुकसानदेह है।
कब शुरू हुआ बदलाव
बोलोग्ना में राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद के इंस्टीट्यूट आफ पोलर साइंसेज में कार्यरत और इस अध्ययन के सह-लेखक डा. टेसी टोमासो के मुताबिक, जब हम अपने 800 साल के काल को देखते हैं तो तापमान और लवणता पर हमारा डाटा काफी स्थिर दिखता है, लेकिन अचानक 20वीं शताब्दी के मोड़ पर आपको तापमान और लवणता में यह विशिष्ट परिवर्तन देखने को मिलता है। आर्कटिक महासागर के प्रवेश द्वार पर इस तीव्र अटलांटिसीकरण इसकी एक प्रमुख वजह है।