Move to Jagran APP

तीन-चार दशक में विलुप्त हो सकती है ह्वेल की खास प्रजाति

चार दशक पहले इस रसायन को प्रतिबंधित कर दिया गया था। लेकिन यह अब भी खाद्य श्रृंखला के प्रथम जीवों के लिए खतरा बन हुआ है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 05:40 PM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 05:43 PM (IST)
तीन-चार दशक में विलुप्त हो सकती है ह्वेल की खास प्रजाति
तीन-चार दशक में विलुप्त हो सकती है ह्वेल की खास प्रजाति

लंदन, प्रेट्र : समुद्र में लगातर बढ़ते रासायनिक प्रदूषण से अगले कुछ दशकों में कई समुद्री जीवों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। इनमें किलर ह्वेल भी शामिल है। पानी में मौजूद हानिकारक रसायन जैसे पॉलीक्लोरीनेटेड बाइफिनाइल्स (पीसीबी) इसके लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। चार दशक पहले इस रसायन को प्रतिबंधित कर दिया गया था। लेकिन यह अब भी खाद्य श्रृंखला के प्रथम जीवों के लिए खतरा बन हुआ है।

prime article banner

डेनमार्क स्थित आरहूस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दुनियाभर में मौजूद 350 किलर ह्वेल के शरीर में पीसीबी के स्तर का अध्ययन किया। इनमें पचास फीसद से ज्यादा पीसीबी से बुरी तरह प्रभावित पाई गईं। इनके प्रत्येक एक किलो फैटी टिश्यू (ऊतक) में करीब 1300 मिलीग्राम पीसीबी पाया गया। जबकि महज 50 मिलीग्राम पीसीबी जीवों की प्रजनन और प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार ब्राजील, ब्रिटेन और जिब्राल्टर खाड़ी के आसपास के जलस्रोत में मौजूद ह्वेल पर विलुप्त होने का संकट सबसे अधिक है। ब्रिटिश द्वीपों में केवल 10 किलर ह्वेल ही बची हैं। छोटी मछलियों की तुलना में शार्क और सील जैसे बड़े समुद्री जीव खाने वाली किलर ह्वेल में अत्यधिक मात्रा में पीसीबी पाया गया। लिहाज इनके विलुप्त होने की आशंका सबसे ज्यादा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि डीडीटी व अन्य कीटनाशकों के साथ पीसीबी से भी महासागर बुरी तरह प्रदूषित हुए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.