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फेफड़े के कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकती सांसों की तकलीफ, जानिए किस तरह कम किया जा सकता है खतरा

फेफड़े का कैंसर ब्रिटेन में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। इसमें व्यक्ति के पांच साल तक जीवित रहने की दर लगभग 13 फीसद है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 08:11 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 08:53 PM (IST)
फेफड़े के कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकती सांसों की तकलीफ, जानिए किस तरह कम किया जा सकता है खतरा
फेफड़े के कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकती सांसों की तकलीफ, जानिए किस तरह कम किया जा सकता है खतरा

लंदन, आइएएनएस। यदि आपको लंबे समय से सांस लेने में तकलीफ हो रही है या आप लंबी सांसें नहीं ले पा रहे हैं तो इसे बिल्कुल हल्के में मत लीजिए। यह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। उनका कहना है कि सांस लेने में परेशानी होना और कफ (खांसी) के कारण व्यक्ति फेफड़ों के कैंसर से ग्रस्त हो सकता है। इसलिए ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टरों से सलाह-मशविरा करना चाहिए।

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ब्रिटेन के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन स्वास्थ्य पत्रिका ब्रिटिश जर्नल ऑफ जनरल प्रैक्टिस में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि सांस लेने में तकलीफ और खांसी की समस्या पहले के मुकाबले अब आम होती जा रही है। पहले एक उम्र के बाद लोग ऐसी बीमारियों से ग्रसित होते थे। अब इसकी चपेट में बच्चे भी आने लगे हैं।

फेफड़े का कैंसर ब्रिटेन में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। इसमें व्यक्ति के पांच साल तक जीवित रहने की दर लगभग 13 फीसद है। एक्सेटर यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में इस शोध को करने का उद्देश्य शुरुआती लक्षणों का विश्लेषण कर रोगी को उचित उपचार देकर जीवन की संभावनाओं का बढ़ाना है।

एक्सेटर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर विली हैमिल्टन ने कहा, 'हमारा अध्ययन लक्षणों में तेजी से हो रहे बदलाव को दर्शाता है, जिसके आधार में डॉक्टर मरीजों का उपचार सुनिश्चित कर सकते हैं।' उन्होंने कहाकि यह बदलाव बायोलॉजिकल नहीं होते। इसके लिए हमारा पर्यावरण और जीवनशैली जिम्मेदार होती है।

हैमिल्टन ने कहा कि इस अध्ययन के लिए शोध टीम ने ऐसे वयस्कों के 27,795 रिकॉर्ड की जांच की, जिन्होंने 2000 और 2017 के बीच फेफड़े के कैंसर का पता चला था। जांच के दौरान शोधकर्ताओं को पता चला कि ज्यादा लोग ऐसे थे जिन्हें शुरुआत में सांस लेने में तकलीफ और खांसी की समस्या हुई थी।


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