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ब्रिटेन में छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगी राल्स रायस, लगभग दो फुटबाल मैदानों की जगह होगा स्थापित

ब्रिटिश सरकार संयंत्रों को विकसित करने के लिए 2100 करोड़ रुपये से ज्यादा का अनुदान देगी जबकि राल्स रायस और उसकी सहयोगी कंपनियां तीन सालों के दौरान 1950 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। कंपनी द्वारा प्रस्तावित ये संयंत्र लगभग दो फुटबाल मैदान में स्थापित हो सकेंगे।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 10 Nov 2021 08:58 AM (IST)Updated: Wed, 10 Nov 2021 08:58 AM (IST)
ब्रिटेन में छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगी राल्स रायस, लगभग दो फुटबाल मैदानों की जगह होगा स्थापित
ब्रिटेन में छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगी राल्स रायस, लगभग दो फुटबाल मैदानों की जगह होगा स्थापित

वाशिंगटन, न्यूयार्क टाइम्स। विमानों के इंजन बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी राल्स रायस छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगी। इसके लिए वह छोटे और सस्ते परमाणु रिएक्टर विकसित करेगी। ब्रिटेन द्वारा कार्बन उत्सर्जन में कटौती की घोषणा और परमाणु ऊर्जा की लागत को कम करने के प्रयासों के बीच कंपनी का यह एलान महत्वपूर्ण है। कंपनी द्वारा प्रस्तावित ये संयंत्र लगभग दो फुटबाल मैदान में स्थापित हो सकेंगे। फिलहाल पारंपरिक परमाणु ऊर्जा स्टेशन को स्थापित करने में बहुत बड़ी जगह की जरूरत होती है।

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इन संयंत्रों से कम मात्रा में बिजली पैदा होगी। इसको इस तरह से भी समझा जा सकता है कि दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड के हिंकले पाइंट पर बनाए जा रहे विशाल परमाणु केंद्र से जितनी बिजली बनेगी, उसके मुकाबले इनसे मात्र 15 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होगा। हालांकि इन संयंत्रों की निर्माण लागत की बात करें तो कंपनी का दावा है कि किफायती रिएक्टरों के माध्यम से हिंकले पाइंट में बनाए जा रहे केंद्र की लागत को 2.6 अरब डालर तक कम किया जा सकता है। कंपनी इस तरह के 16 संयंत्र स्थापित करेगी। प्रत्येक संयंत्र के जरिये कम से कम 10 लाख घरों को बिजली की आपूर्ति की जा सकेगी।

ब्रिटिश सरकार संयंत्रों को विकसित करने के लिए 2100 करोड़ रुपये से ज्यादा का अनुदान देगी जबकि राल्स रायस और उसकी सहयोगी कंपनियां तीन सालों के दौरान 1950 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। ब्रिटेन की सरकार पुराने हो चुके परमाणु संयंत्रों के स्थान पर हरित ऊर्जा का विकल्प तलाश रही है, लेकिन राल्स रायस द्वारा किफायती परमाणु ऊर्जा केंद्रों की परिकल्पना एक दशक से पहले जमीन पर उतरती नहीं दिखाई देती है।


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