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आप भी यदि तंदूरी खाना पसंद करते हैं तो हो जाएं सावधान, दिल के लिए है घातक

खाना बनाने के लिए लंबे समय तक कोयला, लकड़ी या चारकोल का इस्तेमाल करने से हृदय रोग से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। यह बात एक अध्ययन के बाद सामने आई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 10:56 AM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 11:19 AM (IST)
आप भी यदि तंदूरी खाना पसंद करते हैं तो हो जाएं सावधान, दिल के लिए है घातक
आप भी यदि तंदूरी खाना पसंद करते हैं तो हो जाएं सावधान, दिल के लिए है घातक

लंदन [प्रेट्र]। अक्सर आप भी बड़े होटल या रेस्तरां में जाकर लंच या डिनर करना पसंद करते होंगे। मुमकिन है कि आप वहां पर तंदूरी खाने को ज्यादा तवज्जो देते हों। यदि ऐसा है तो यह खबर आपके लिए पढ़ना बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि तंदूरी खाना आपकी सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। न सिर्फ तंदूरी खाना, बल्कि कई दूसरी चीजें भी, जो कोयला और लड़की जलाकर बनाई जाती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि एक शोध में यह बात सामने आई है कि खाना बनाने के लिए लंबे समय तक कोयला, लकड़ी या चारकोल का इस्तेमाल करने से हृदय रोग से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने खाना बनाने के लिए इनके स्थान पर बिजली या गैस चूल्हों का प्रयोग करने की सलाह दी है। 

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खाना बनाने के लिए लंबे समय तक कोयला, लकड़ी या चारकोल का इस्तेमाल करने से हृदय रोग से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। यह बात एक अध्ययन के बाद सामने आई है। ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने खाना बनाने के लिए इनके स्थान पर बिजली या गैस चूल्हों का प्रयोग करने की सलाह दी है। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डेरिक बेनेट कहते हैं, हमारा अध्ययन सुझाव देता है कि खाने के लिए ठोस ईंधन जैसे कोयला, लकड़ी या चारकोल का प्रयोग सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह है। इससे कार्डियोवैस्कुलर डिसीज (सीवीडी) से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। इनका प्रयोग करने वाले जितनी जल्दी हो सके इनके स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक या गैस चूल्हों का प्रयोग शुरू कर दें।सीवीडी एक तरह की हृदय या रक्त वाहिकाओं से जुड़ी बीमारी है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर लोगों की मृत्यु के पीछे यह बीमारी एक बड़ा कारण है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह सुझाव दिया गया कि ठोस ईंधन से खाना बनाने से वायु प्रदूषण तो होता ही है, साथ ही इससे हृदय रोग से असमय मृत्यु भी हो सकती है। हालांकि, इसके साक्ष्य बेहद कम मिलते हैं। यही वजह है कि इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ठोस ईंधन से स्वच्छ ईंधन की ओर से रुख करने के संभावित प्रभाव भी बताए हैं।

यह आया सामने

शोधकर्ताओं ने एक जनवरी, 2017 को मृत्युदर के आंकड़ों से पता लगाया कि जिन 3.4 लोगों को अध्ययन में शामिल किया गया था उनमें से 8,304 प्रतिभागियों की मृत्यु हृदय संबंधी रोगों के कारण हुई थी। वे प्रतिभागी जो 30 या उससे अधिक वर्षों से ठोस ईंधन का प्रयोग कर रहे थे उनमें 10 वर्ष या उससे कम समय से ठोस ईंधन का प्रयोग करने वालों की तुलना में हृदय संबंधी रोग से मृत्यु का खतरा 12 फीसद तक अधिक था।

इन आंकड़ों का किया प्रयोग

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 2004 से 2008 के बीच चीन के 10 इलाकों से 30 से 79 उम्र के 3,41,730 लोगों से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल किया। प्रतिभागियों से यह पूछा गया कि वे खाना पकाने के लिए आमतौर पर किस तरह के ईंधन का इस्तेमाल करते हैं।

लाया जा सकता है सेहत में सुधार

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर झेंगमिंग चेन ने बताया कि हमें यह पता चला है कि भोजन पकाने के लिए लंबे समय तक ठोस ईंधन का इस्तेमाल करने से हृदय संबंधी बीमारियों का अत्यधिक खतरा होता है। अध्ययन से यह भी पता चला कि इनके स्थान पर गैस या इलेक्ट्रॉनिक चूल्हों का प्रयोग करने से शरीर को हुए नुकसान की भरपाई की जा सकती है। इससे सेहत में धीरे-धीरे सुधार आ सकता है।

इस दिशा में भारत सरकार ने किया है सराहनीय कार्य

बता दें कि वर्तमान की मोदी सरकार ने भारत में इस समस्या को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना चला रखी है। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को गैस चूल्हे का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं की सेहत में सुधार लाना है। 


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