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वेल्स में गांधी की प्रतिमा के भविष्य पर उठा सवाल, स्मारकों की पुनर्विचार सूची में शामिल किया गया है बापू का नाम

वेल्स के कार्डिफ बे में गांधीजी की एक कांस्य प्रतिमा है जिसका अनावरण उनकी 148वीं जयंती पर 2017 में किया गया था। आडिट में उन्हें पर्सन आफ इंटरेस्ट की ई श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है जिसकी समीक्षा की जरूरत बताई गई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 09:08 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 09:08 PM (IST)
वेल्स में गांधी की प्रतिमा के भविष्य पर उठा सवाल, स्मारकों की पुनर्विचार सूची में शामिल किया गया है बापू का नाम
वेल्स में महात्मा गांधी की प्रतिमा की फाइल फोटो

लंदन, प्रेट्र। वेल्स सरकार द्वारा ब्रिटेन के औपनिवेशिक तथा दासता के व्यापारिक इतिहास से संबंधित पुनर्विचार योग्य स्मारकों की एक सूची बनाए जाने से वेल्स में महात्मा गांधी की प्रतिमा के भविष्य पर सवाल उठ खड़ा हुआ है। इस सप्ताह जारी 'द स्लेव ट्रेड एंड द ब्रिटिश एम्पायर : एन आडिट आफ कमेमरेशन इन वेल्स' नामक एक रिपोर्ट में एक सूची बनाई गई है, जिस पर द्वितीय चरण की समीक्षा प्रक्रिया चल रही है।

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वेल्स के कार्डिफ बे में गांधीजी की एक कांस्य प्रतिमा है, जिसका अनावरण उनकी 148वीं जयंती पर 2017 में किया गया था। आडिट में उन्हें पर्सन आफ इंटरेस्ट की 'ई' श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, जिसकी समीक्षा की जरूरत बताई गई है। उल्लेखनीय है कि इस सूची में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और राबर्ट क्लीव के भी नाम हैं।

आडिट दस्तावेज के नोट में कहा गया है कि 1896 में गांधीजी के भाषण में यह टिप्पणी कि गोरे लोग ¨हदू और मुसलमान को अपमानित करते थे- इससे लगता है कि वह भारतीयों को अश्वेत अफ्रीकियों से बेहतर मानते थे। इतिहासकारों ने इस बारे में यह कहते हुए कई विचार रखे हैं कि दक्षिण अफ्रीका में शताब्दी के अंत तक समानता की उम्मीद करना असामयिक होगा या गांधी की पहचान अफ्रीकियों के खिलाफ बर्बरता से आंख मूंदकर की गई। फिर भी बाद में भारत में गांधी के नेतृत्व से अफ्रीका में नेल्सन मंडेला समेत अन्य नेता प्रभावित हुए। डेसमंड टूटू ने पीटरमैरिट्सबर्ग में 1993 में गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया।

वैसे सूची में गांधी को शामिल करने को मुख्य रूप से लीसेस्टर और मैनचेस्टर में इसी तरह की प्रतिमाओं के खिलाफ कुछ आनलाइन अभियानों के साथ जोड़ा गया है। हालांकि उन अभियानों के विरोध में भी बड़े पैमाने पर अभियान चला था।

लीसेस्टर के मेयर पीटर सॉल्सबी का कहना है कि यह हमारे शहर के लिए गर्व की बात है कि दानदाताओं के उदार समर्थन से बापू के जीवन का जश्न मना सके, जो आधुनिक भारत के निर्माण में प्रेरक रहे तथा दुनियाभर में मिसाल बने। उन्होंने इस साल की शुरुआत में संकल्प लिया था कि वह बापू की प्रतिमा की रक्षा करेंगे।


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