जानिए, डिप्रेशन कम करने में प्रोबायोटिक कैसे हो सकता है मददगार, डॉक्टर क्यों देते हैं इसे लेने की सलाह
अध्ययन के मुताबिक प्रोबायोटिक्स साइटोकींस जैसे इंफ्लेमेटरी केमिकल के उत्पादन को कम करने में मदद करते हैं।
लंदन, आइएएनएस। एक नए अध्ययन से पता चला है कि प्रोबायोटिक्स अवसाद (डिप्रेशन) को कम करने में मददगार हो सकते हैं। प्रोबायोटिक्स को सेहत के लिए अच्छा बैक्टीरिया या सहायक बैक्टीरिया माना जाता है, क्योंकि ये आंतों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स को सप्लीमेंट (पूरक पदार्थो) और दही जैसे खाद्य पदार्थों से ले सकते हैं। पाचन संबंधी समस्याओं में डॉक्टर प्रोबायोटिक्स लेने की सलाह देते हैं।
12 अलग-अलग प्रकार के प्रोबायोटिक्स की हुई जांच
ब्रिटेन के ब्राइटन विश्वविद्यालय की शोध टीम ने वर्ष 2003 से 2019 के बीच प्रकाशित शोधों का अध्ययन किया, जिसमें पाया कि प्रोबायोटिक्स के उपयोग से वयस्कों में अवसाद और चिंता संबंधी विकारों में कमी आई। अध्ययन में 12 अलग-अलग प्रकार के प्रोबायोटिक्स की जांच की गई और इनमें से 11 को अवसाद कम करने में उपयोगी पाया गया।
अध्ययन के मुताबिक प्रोबायोटिक्स साइटोकींस जैसे इंफ्लेमेटरी केमिकल के उत्पादन को कम करने में मदद करते हैं। यह केमिकल ही इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आंत और पेट के अंदरूनी कोमल भागों में सूजन आने की समस्या) की वजह बनते हैं। प्रोबायोटिक मस्तिष्क की आंतों में सूजन की वजह बनने वाले एक केमिकल ट्रिप्टोफैन पर सीधा हमला करते हैं, इसलिए यह अवसाद में मददगार होते हैं।
अनुवांशिक है वयस्कों में बहरेपन की वजह
मेडिकल जेनेक्टिस में प्रकाशित एक शोध से पता चला है कि वयस्कों में बहरेपन की वजह अनुवांशिक है। हालांकि वयस्कों में बहरेपन के लिए कौन से अनुवांशिक कारण जिम्मेदार हैं, इसका पता नहीं चल सका है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बहरापन दुनियाभर में सबसे अधिक प्रचलित अक्षमता में से एक है और जीवन की गुणवत्ता पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। अब तक 118 जीन की अनुवांशिक रूप से पहचान की गई, लेकिन यह जीन वयस्कों के बजाय सिर्फ बच्चों में बहरेपन का बड़ा कारण हैं।
30 फीसद से 70 फीसद तक बहरेपन की वजह अनुवांशिक
बता दें कि वयस्कों में 30 फीसद से 70 फीसद तक बहरेपन की वजह अनुवांशिक है। शोधकर्ताओं ने शुरुआत में कम सुनाई देने की समस्या से जूझ रहे एक परिवार की जांच की और पाया कि इसके लिए गुणसूत्र क्षेत्र जिम्मेदार हैं, लेकिन इसमें जीन शामिल नहीं थे। इस अध्ययन को आगे बढ़ाते हुए शोधकर्ताओं ने इस परिवार सहित11 अन्य परिवारों के प्रत्येक सदस्य के कान, नाक और गले की जांच की।