ब्रिटेन में कोरोना की वापसी की आशंका से सहमें लोग, वाक-इन जांच केंद्रों पर बढ़ी भीड़
कोरोना जांच के लिए सुविधाओं में कमी की समस्या सिर्फ ब्रिटेन में ही नहीं है। यूरोप के अन्य देश भी इसका सामना कर रहे हैं।
साउथेंड, रायटर। ब्रिटेन में कोरोना वायरस की वापसी की आशंका से लोगों में डर और दहशत पैदा हो गई है। यूरोप में सबसे बुरी तरह प्रभावित रहे इस देश में लोगों के बीच कोरोना जांच कराने की होड़ लग गई है। जांच केंद्रों में लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं। लेकिन पर्याप्त व्यवस्था के अभाव में तेजी से जांच नहीं हो रही है और लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। सरकार जल्द से जल्द व्यवस्थाएं दुरुस्त करने लेने का भरोसा दिला रही है।
मई के महीने में जब ब्रिटेन में कोरोना वायरस का संक्रमण अपनी चरम पर था, तब प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने लोगों से बेहतरीन जांच व्यवस्था बनाने का वादा किया था। उन्होंने ने संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों को भी जल्द से जल्द ढूंढ निकालने की प्रणाली विकसित करने का भरोसा दिलाया था।
इंग्लैंड के पूर्वी शहर साउथेंड-ऑन-सी में रायटर के रिपोर्टर ने भी वाक-इन जांच केंद्र पर कोरोना टेस्ट कराने की कोशिश की। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। उस केंद्र पर लोग स्थानीय समय के अनुसार भोर से ही जमा हुए थे। केंद्र पर लंबी लाइन लगी हुई थी।
ब्रिटेन के न्याय मंत्री रॉबर्ट बकलैंड ने स्काई न्यूज से कहा, 'प्रयोगशालाओं की क्षमता एक चुनौती है। इसे बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। इसके लिए जो कुछ भी करना होगा हम करेंगे।' स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने मंगलवार को कहा था कि व्यवस्था को दुरुस्त करने में हफ्तों लगेंगे। बकलैंड ने कहा कि जांच में स्वास्थ्य और देखभाल केंद्रों से जुड़े लोगों, स्कूली बच्चों और उनके माता-पिता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
ब्रिटेन के संसदीय स्वास्थ्य समिति के चेयरमैन जेरेमी हंट कहते हैं कि जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की जानी चाहिए, ताकि हर कोई अपनी जांच करा सके। उन्होंने कहा कि रोजाना जांच की क्षमता पांच लाख नहीं, बल्कि 20 लाख करनी होगी, तभी देश के हर व्यक्ति की महीने में एक बार जांच कराई जा सकेगी।
कोरोना जांच के लिए सुविधाओं में कमी की समस्या सिर्फ ब्रिटेन में ही नहीं है। यूरोप के अन्य देश भी इसका सामना कर रहे हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों से चिंतित जर्मनी ने बाहर से आने वाले लोगों के लिए मुफ्त जांच की व्यवस्था शुरू की थी। लेकिन डाटा में गड़बड़ी और लोगों की बढ़ती संख्या के चलते उसे कुछ ही हफ्तों में यह व्यवस्था वापस लेनी पड़ी।
फ्रांस सरकार का कहना है कि वह हर हफ्ते 10 लाख कोरोना जांच कर रही है। लेकिन मांग के मुताबिक जांच क्षमता बढ़ाने के लिए उसे संघर्ष करना पड़ रहा है। पेरिस समेत फ्रांस के सभी प्रमुख शहरों में जांच केंद्रों पर लोगों की लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं। जांच के लिए कई हफ्तों बाद का समय मिल रहा है।