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खर्राटे से निजात दिला सकता है फेस मास्क, अध्‍ययन में खुलासा बढ़ रहे हैं स्लीप एप्निया के मामले

शोधकर्ताओं ने पाया है कि रात में सोते समय फेस मास्क पहनने से ना सिर्फ ऊर्जा के स्तर में सुधार हो सकता है बल्कि उन लोगों को भी लाभ हो सकता है जो स्लीप एप्निया से पीड़ित हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 09:52 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 10:12 AM (IST)
खर्राटे से निजात दिला सकता है फेस मास्क, अध्‍ययन में खुलासा बढ़ रहे हैं स्लीप एप्निया के मामले
खर्राटे से निजात दिला सकता है फेस मास्क, अध्‍ययन में खुलासा बढ़ रहे हैं स्लीप एप्निया के मामले

लंदन, आइएएनएस। शोधकर्ताओं ने पाया है कि रात में सोते समय फेस मास्क पहनने से ना सिर्फ ऊर्जा के स्तर में सुधार हो सकता है बल्कि उन लोगों को भी लाभ हो सकता है, जो स्लीप एप्निया से पीड़ित हैं। नींद संबंधी इस विकार का संबंध खर्राटे और रात में सांस संबंधी समस्या से है। सीपीएपी मशीन नामक मास्क की सलाह अभी सिर्फ उन लोगों को दी जाती है, जो स्लीप एप्निया से गंभीर रूप से पीड़ित होते हैं।

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इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने स्लीप एप्निया से मामूली रूप से पीड़ित करीब 200 रोगियों पर किए गए अध्ययन के आधार पर उक्‍त निष्कर्ष निकाला है। प्रमुख शोधकर्ता मैरी मोरेल ने कहा, ‘स्लीप एप्निया के मामले बढ़ रहे हैं। पहले यही माना जाता था कि ज्यादा वजन वाले लोग ही इससे प्रभावित होते हैं, लेकिन इस विकार की चपेट में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे तक आ सकते हैं। इस विकार के करीब 60 फीसद मामले गंभीर नहीं होते, लेकिन अभी तक यह पता नहीं था कि ऐसे रोगियों के लिए सीपीएपी मददगार हो सकता है।’ 

इससे इतर 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि रातों की नींद खराब करने वाले खर्राटे गंभीर बीमारियों की चेतावनी भी हो सकते हैं। खर्राटे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) का लक्षण होते हैं। स्लीप एप्निया यानी ओएसए सोते समय अचानक सांस बाधित होने की समस्‍या को कहा जाता है। इसी की वजह से इंसान को खर्राटे आते हैं। हालिया अध्ययनों के मुताबिक, यह परेशानी दिल की बीमारियों, स्ट्रोक, डायबिटीज और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की वजह बन सकती है।

अमेरिकन अकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के मुताबिक, लगभग नौ फीसद महिलाएं और 24 फीसद पुरुष ओएसए की समस्‍या से जूझ रहे हैं। ज्यादातर प्रौढ़ और बड़ी उम्र के लोग इसके शिकार होते हैं। यही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि करीब 10 में नौ लोगों की बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन जांच नहीं होने की वजह से बीमारी का इलाज नहीं हो पाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ओएसए की समस्‍या से ग्रसित व्‍यक्ति की नींद पूरी नहीं हो पाती है जिससे उसके शरीर को और दिमाग को आराम नहीं मिल पाता है। इससे उसे दूसरी बीमारियां ग्रसित कर लेती हैं। 


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