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चीन से मिल रही चुनौतियों को देख नाटो देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने लिया एक साथ चलने का संकल्प

NATO leaders खर्च पर बढ़ती असहमति सहित चीन और तुर्की से मिलने वाले खतरों से निपटने के लिए नाटो देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने एकसाथ चलने का संकल्‍प लिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 08:34 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 08:38 AM (IST)
चीन से मिल रही चुनौतियों को देख नाटो देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने लिया एक साथ चलने का संकल्प
चीन से मिल रही चुनौतियों को देख नाटो देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने लिया एक साथ चलने का संकल्प

वाटफोर्ड (लंदन), एएफपी। खर्च पर बढ़ती असहमति सहित चीन और तुर्की से मिलने वाले खतरों से निपटने के लिए नाटो देशों के राष्ट्राध्यक्ष बुधवार को लंदन के पास एक गोल्फ रिसार्ट में एकत्र हुए। इस दौरान संयुक्त बयान जारी कर सभी देशों ने कहा कि अगर हमें सुरक्षित रहना है तो हम सभी को एकसाथ चलना होगा। इस दौरान चीन द्वारा मिल रही चुनौतियों को स्वीकार करते हुए नाटो देशों ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकल्प लिया।

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हालांकि, नाटो देशों के एक प्रमुख ने स्वीकार किया कि तुर्की के साथ मुद्दों पर अभी भी बातचीत अनसुलझी है। बता दें कि पिछले साल पश्चिमी देश कई मुद्दों पर एकराय थे, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस मांग से बातचीत परवान नहीं चढ़ सकी थी, जिसमें उन्होंने यूरोपीय रक्षा खर्च बढ़ाने को कहा था। अबकी बार बातचीत में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मास्को के साथ नए सिरे से जहां रणनीतिक वार्ता का आह्वान किया।

मैक्रों ने कहा कि तुर्की अपने स्तर पर कुर्दिश लड़ाकों पर किए गए हमले और रूस की एस-400 हवाई रक्षा प्रणाली की खरीद पर अपना पक्ष रखे। बता दें कि तुर्की जहां सीरिया के विद्रोहियों को समर्थन देता है वहीं पेरिस इन्हें चरमपंथी मानता है। नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि तुर्की के साथ विवाद का समाधान नहीं निकल सका है। सम्मेलन की मेजबानी कर रहे ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने विवाद को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई।

ट्रंप और एदरेगन ने की क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा

ट्रंप ने शिखर सम्मेलन से इतर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एदरेगन के साथ बैठक की। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने अपनी गठबंधन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने, 100 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने, क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बातचीत की। बता दें कि तुर्की के कुछ पश्चिमी सहयोगियों विशेषकर फ्रांस उत्तरी सीरिया में तुर्की के ऑपरेशन की तीखी आलोचना की है। 


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