वाटरलू की लड़ाई में नेपोलियन की हार में ज्वालामुखी विस्फोट की भी थी अहम भूमिका
अन्य कारणों के साथ ज्वालामुखी विस्फोट भी ब्रिटिश नेतृत्व वाली गठबंधन सेना के हाथों नेपोलियन की शिकस्त का कारण बना था।
लंदन, प्रेट्र। मशहूर वाटरलू की लड़ाई में फ्रांस के सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट की हार में ज्वालामुखी विस्फोट की भी कुछ भूमिका थी। दरअसल, इस लड़ाई से दो माह पहले इंडोनेशिया के माउंट तंबोरा ज्वालामुखी में भीषण विस्फोट हुआ था। इसकी वजह से दस हजार लोगों की जान गई थी और यूरोप में भारी बारिश हुई थी। ब्रिटेन स्थित इंपीरियल कॉलेज लंदन का कहना है कि बारिश और कीचड़ के कारण नेपोलियन के सैनिकों को लड़ाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। लिहाजा कई अन्य कारणों के साथ ज्वालामुखी विस्फोट भी ब्रिटिश नेतृत्व वाली गठबंधन सेना के हाथों नेपोलियन की शिकस्त का कारण बना था।
जून, 1815 में दोनों सेनाओं ने वाटरलू में युद्ध किया था। फिलहाल, यह क्षेत्र बेल्जियम के हिस्से में पड़ता है। इस लड़ाई ने पूरे यूरोप की राजनीति और इतिहास को बदल दिया था। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि ज्वालामुखी विस्फोट से निकली राख तब आकाश में करीब 99 किलोमीटर ऊपर तक उठी थी।
आवेशित राख के कणों के चलते बादल बनाने वाली वायुमंडल की ऊपरी सतह 'आइनोस्फेयर' में शॉर्ट सर्किट हुआ। इससे बादल बने और पूरे यूरोप में मूसलधार बारिश हुई। पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि ज्वालामुखी की राख इतनी ऊपर तक नहीं जा सकती, लेकिन इस शोध से साबित हो गया कि राख वायुमंडल में 100 किमी तक उठ सकती है। इससे पहले फ्रांसीसी लेखक विक्टर ह्यूगो ने भी अपने चर्चित उपन्यास 'लेस मिजरेबल्स' में वाटरलू की लड़ाई पर बादलों के प्रभाव का जिक्र किया था।