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अनुमान से ज्यादा खतरनाक हैं नैनोकण, ये हमारे शरीर के लिए ज्यादा नुकसानदेह

यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न डेनमार्क के शोधकर्ताओं के अध्ययन में आया सामने, जब नैनोसिल्वर और कैडमियम आयनों के कॉकटेल के संपर्क में आती हैं कोशिकाएं तो पहुंचता है ज्यादा नुकसान

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 11:26 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 11:26 AM (IST)
अनुमान से ज्यादा खतरनाक हैं नैनोकण, ये हमारे शरीर के लिए ज्यादा नुकसानदेह
अनुमान से ज्यादा खतरनाक हैं नैनोकण, ये हमारे शरीर के लिए ज्यादा नुकसानदेह

लंदन [प्रेट्र]। रोजमर्रा की चीजों में पाए जाने वाले हजारों की संख्या में नैनोकण अपनी यूनिक विशेषताओं के कारण हमारी कोशिकाओं के लिए हानिकारक जहरीला कॉकटेल बना सकते हैं। यह बात एक अध्ययन में सामने आई इै। इसमें बताया गया है कि अभी तक इन नैनोकणों को जितना खतरनाक समझा गया था, ये हमारे शरीर के लिए उससे ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। नैनोटोक्सीकोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि नैनोसिल्वर और कैडमियम आयनों के कॉकटेल के संपर्क में आने पर कोशिकाओं के मरने की दर अधिक थी। वहीं, जब कोशिकाएं अलग-अलग इनके संपर्क में आईं तो इनके मरने की दर कम थी।

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पर्यावरण में तेजी से बढ़ रहे नैनोकण

शोधकर्ताओं के मुताबिक, नैनोकण हमारे पर्यावरण में लगातार तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर सिल्वर नैनोकण रेफ्रीजरेटर, कपड़ों, सौंदर्य प्रसाधनों, टूथ ब्रशों, वाटर फिल्टरों आदि स्थानों व चीजों पर पाए जाते हैं। इनमें बैक्टीरिया को नष्ट करने की क्षमता होती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जब कोशिकाएं नैनोसिल्वर और कैडमियम आयनों के संपर्क में आईं तब उनमें से 72 फीसद कोशिकाएं मर गईं। वहीं, जब वे केवल नैनोसिल्वर के संपर्क में आईं तब 25 फीसद और जब वे केवल कैडमियम आयनों के संपर्क में आईं तब 12 फीसद मरीं। यह अध्ययन मानव यकृत कैंसर कोशिकाओं पर किया गया।

कॉकटेल प्रभाव को देखने की जरूरत

एसडीयू के प्रोफेसर फ्रैंक जेल्डसन ने कहा कि इस अध्ययन से संकेत मिलता है कि जब हम अपने स्वास्थ्य पर नैनोकणों के असर का अध्ययन करने की कोशिश कर रहे हों तो हमें उसके कॉकटेल प्रभाव को भी देखने की जरूरत है।

कई देशों में कोई नियम नहीं

बकौल जेल्डसन, रोजाना नैनोकणों के साथ वस्तुओं का विकास और निर्माण किया जा रहा है, लेकिन बहुत से देशों में इसे रोकने के लिए कोई नियम ही नहीं है। इसलिए हमें यह नहीं पता चल पाता कि हम पर्यावरण में कितने नैनोकणों को मुक्त कर रहे हैं। वह कहते हैं, यह समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इससे न केवल पर्यावरण बल्कि हमारा शरीर भी प्रभावित हो रहा है। इसके लिए देशों को उचित कदम उठाने जाने की जरूरत है। यदि समय रहते नहीं चेते तो भविष्य में बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

अलग स्थिति में अलग प्रतिक्रिया

यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न डेनमार्क (एसडीयू) के शोधकर्ताओं के अनुसार, नैनोसिल्वर और कैडमियम आयन धरती पर हमारे इर्द-गिर्द हर स्थान पर मिल जाते हैं। शोधकर्ताओं ने देखा कि हमारी कोशिकाएं केवल नैनोसिल्वर के संपर्क में आने पर अलग प्रतिक्रिया देती हैं, जबकि नैनोसिल्वर और कैडमियम आयन के कॉकटेल के संपर्क में आने पर अलग तरह से व्यवहार करती हैं।


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