शरीर में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकती है चाय की पत्ती
अप्लाइड नैनो मैटीरियल्स नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया अध्ययन, नैनोपार्टिकल के क्वांटम डॉट्स नामक प्रकार को पैदा करने की एक नई विधि तलाशी
लंदन [प्रेट्र]। चाय की पत्तियों से प्राप्त नैनोपार्टिकल्स फेफड़ों की कैंसर कोशिकाओं को न केवल बढ़ने से रोक सकते हैं, बल्कि उनमें से 80 फीसद तक को नष्ट भी कर सकते हैं। यह बात भारतीय और ब्रिटिश वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है। अप्लाइड नैनो मैटीरियल्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने नैनोपार्टिकल के क्वांटम डॉट्स नामक प्रकार को पैदा करने की एक नई विधि तलाशी है।
ब्रिटेन में स्वानसी यूनिवर्सिटी के सुधागर पिचईमुथु के मुताबिक, हमारे शोध ने पिछले सुबूत की पुष्टि की है कि चाय की पत्तियों से प्राप्त नैनोपार्टिकल रसायनों का उपयोग कर क्वांटम डॉट्स बनाने के लिए एक गैर विषैला विकल्प हो सकता है।
पिचईमुथु ने कहा, हालांकि हैरत की बात यह थी कि डॉट ने सक्रिय रूप से फेफड़ों की कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोक दिया था। हम इसकी अपेक्षा नहीं कर रहे थे। क्वांटम डॉट्स को रासायनिक रूप से बनाया जा सकता है, लेकिन यह जटिल और महंगा है। साथ ही इसके दुष्प्रभाव भी होते हैं। टीम में तमिलनाडु स्थित केएस रंगासामी प्रौद्योगिकी कॉलेज और भारतियर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता भी शामिल थे।
चाय की पत्तियों में पॉलीफेनॉल, एमिनो एसिड, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट सहित कई प्रकार के यौगिक होते हैं। शोधकर्ताओं ने कैडमियम सल्फेट और सोडियम सल्फाइड के साथ चाय की पत्तियों से निकाले गए रस को मिलाया और इस मिश्रण को क्वांटम डॉट्स बनाने की एक प्रक्रिया में सेका। फिर उन्होंने इससे प्राप्त डॉट्स को फेफड़ों की कैंसर कोशिकाओं पर लगाया।
उन्होंने पाया कि चाय की पत्तियां रसायनों का उपयोग करने की तुलना में क्वांटम डॉट्स बनाने की एक सरल, सस्ती और कम जहरीली विधि है, जो क्षेत्र में अन्य शोध के परिणामों की पुष्टि करती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अध्ययन में पाया गया कि चाय की पत्तियों से उत्पादित क्वांटम डॉट फेफड़ों की कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं।
शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि कैंसर कोशिकाओं के नैनोपोरों में प्रवेश करने के बाद इन डॉट्स ने उनमें से 80 फीसद तक को नष्ट कर दिया। चाय की पत्तियों से प्राप्त सीडीएस क्वांटम डॉट्स पारंपरिक सीडीएस नैनोकणों की तुलना में कैंसर सेल बायोइमेजिंग में असाधारण फ्लोरोसेंस उत्सर्जन दिखाते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि कैंसर के बेहतर उपचार के लिए क्वांटम डॉट्स एक उपयोगी विधि साबित होगी।