Move to Jagran APP

ये है बरमूडा ट्राएंगल का तिलिस्म, 2000 जहाज और 75 प्‍लेन हो चुके गायब

शैतानी तिकोने के नाम से भी मशहूर यह क्षेत्र उत्तरी अटलांटिक महासागर के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। इस क्षेत्र में कई विमान और जलपोत रहस्यमय तरीके से गायब हो चुके हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 10:17 AM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 11:01 AM (IST)
ये है बरमूडा ट्राएंगल का तिलिस्म, 2000 जहाज और 75 प्‍लेन हो चुके गायब
ये है बरमूडा ट्राएंगल का तिलिस्म, 2000 जहाज और 75 प्‍लेन हो चुके गायब

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। तीन सदियों से वैज्ञानिकों का सिरदर्द बनी बरमूडा ट्राएंगल पहेली को सुलझा लेने का दावा किया जा रहा है। अब यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैंपटन के विज्ञानियों का कहना है कि यहां घटने वाली हर अनहोनी के पीछे तूफानी लहरें हैं। तीनों दिशाओं से उठने वाली 30 मीटर ऊंची लहरें जब आपस में टकराती हैं तो बड़े से बड़ा जहाज भी विवश हो जाता है। पिछले तीन सौ साल के दौरान यहां 2000 जलपोत और 75 वायुयान गायब हो चुके है।

loksabha election banner

ऐसे पहुंचे नतीजे पर
साउथैंपटन के शोधकर्ता प्राकृतिक घटना के तहत उपजी विशाल लहरों को इसकी वजह मानते हैं। उनके अनुसार अटलांटिक के इस तिकोने क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से तीनों तरफ से तूफानी लहरें उठती हैं। जब ये आपस में मिलती हैं तो आकार- प्रकार विकराल और भयावह हो जाता है। इसके लिए उन्होंने चैनल 5 के लिए बनायी गई एक डॉक्युमेंट्री में पूरी घटना को होते हुए दिखाया। इसके तहत यूएसएस साइक्लोप्स जलपोत का मॉडल तैयार किया गया। 1918 में यह अमेरिकी युद्धपोत बरमूडा ट्राएंगल क्षेत्र में समाधिस्थ हो गया था। घटना में तीन सौ लोग मारे गए थे।

बरमूडा ट्राएंगल
शैतानी तिकोने के नाम से भी मशहूर यह क्षेत्र उत्तरी अटलांटिक महासागर के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। इस क्षेत्र में कई विमान और जलपोत रहस्यमय तरीके से गायब हो चुके हैं। विमानों की इन रहस्यमय गुमशुदगी के पीछे किसी दैवीय या दूसरी शक्ति का होना भी एक आमधारणा रही है। 

क्षेत्र: यह तिकोना क्षेत्र फ्लोरिडा की खाड़ी, बहमास और पूरे कैरीबियन आईलैंड के साथ पूर्व में अटलांटिक महासागर के अजोरेस तक फैला है। हालांकि इस क्षेत्र की सबसे प्रचलित वाह्य सीमा को अटलांटिक महासागर के तट मियामी, सैनजुआन, प्यूर्टो रिको और मध्य अटलांटिक के आइलैंड बरमूडा को माना जाता है। गौरतलब है कि यह दुनिया के सबसे व्यस्ततम समुद्री जहाजों और विमानों के रास्ते में से एक है।

खतरे का आभास
सबसे पहले इस शैतानी तिकोने का आभास महान नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस को हुआ। 11 अक्टूबर 1492 को अपने दल के साथ यात्रा के दौरान कोलंबस को इस क्षेत्र में अजीबोगरीब विसंगतियां दिखीं। अपने लॉगबुक में उन्होंने लिखा कि यात्रा के दौरान दल के सभी साथियों को इस क्षेत्र में आसमान में प्रकाश पुंजों के नृत्य जैसा दृश्य दिखा। इसके बाद उन्होंने लिखा था कि इस क्षेत्र में कंपास यंत्र विचित्र तरीके का व्यवहार कर रहा था।

हालांकि ‘बरमूडा ट्राएंगल’ शब्द 1964 और 1974 के बीच सर्वाधिक चर्चित हुआ। चाल्र्स बार्लिट्ज की लिखी किताब ‘बरमूडा ट्राएंगल’ 1974 में प्रकाशित हुई। इस किताब में लेखक ने अमेरिकी नौसेना के लड़ाकू विमानों फ्लाइट 19 समेत कई विमानों और जलपोतों के गायब होने की घटनाओं का जिक्र किया था।

पूर्व की परिकल्पनाएं
असामान्य स्थानीय चुंबकीय क्षेत्र: कंपास यंत्र के विचित्र व्यवहार पर कई लोगों ने इस क्षेत्र में असामान्य चुंबकीय क्षेत्र की परिकल्पना भी की।

जल दस्यु: कैरेबियाई क्षेत्रों में जल दस्यु समस्या 1560 से चलती आ रही है। कई लोगों का मानना है कि ये समुद्री लुटेरे जलपोतों को बंधक बनाकर लूटमार करने के बाद डुबो देते हैं।

गल्फ स्ट्रीम: यह समुद्री धारा मेक्सिको की खाड़ी से निकलकर उत्तर अटलांटिक में फ्लोरिडा जलडमरूमध्य में गिरती है। एक मायने में यह समुद्र में एक नदी की तरह है जिससे यह अपने बहाव के साथ तैरनी वाली वस्तुएं ले आती है। इसकी धारा का बहाव 2.5 मीटर प्रति सेकंड है। जल पर उतरने वाले छोटे विमानों या छोटी नौकाओं में तकनीकी खराबी होने पर उन्हें अपने साथ बहा ले जाती है।

मानवीय भूल: किसी भी विमान या जलपोत के गायब होने की जांच में आधिकारिक कारण मानवीय भूल को बताया गया है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.