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शोधकर्ताओं की गजब खोज, अब मच्छर ही करेगा डेंगू का इलाज

शोधकर्ताओं ने मच्छरों की एक ऐसी प्रजाति की खोज की है, जो डेंगू की रोकथाम में कारगर साबित हुई है। इससे जीका वायरस की रोकथाम में भी मदद मिलने की बात कही जा रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 09:31 AM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 09:41 AM (IST)
शोधकर्ताओं की गजब खोज, अब मच्छर ही करेगा डेंगू का इलाज
शोधकर्ताओं की गजब खोज, अब मच्छर ही करेगा डेंगू का इलाज

लंदन [प्रेट्र]। लोहा ही लोहे को काटता है ये कहावत तो आम है, लेकिन इसे ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने चरितार्थ किया है डेंगू के बारे में। यूं तो एडीज मच्छर को डेंगू वायरस का कारक माना जाता है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने मच्छरों की एक ऐसी प्रजाति की खोज की है, जो डेंगू की रोकथाम में कारगर साबित हुई है। इससे जीका वायरस की रोकथाम में भी मदद मिलने की बात कही जा रही है।

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शोधकर्ताओं ने पाया कि एक विशेष वातावरण में पैदा की गई मच्छरों की प्रजाति इन जानलेवा वायरसों को फैलने से रोकती है। यह प्रजाति प्राकृतिक रूप से मिलने वाले वोल्बैकिया बैक्टीरिया की वाहक है। यह बैक्टीरिया वायरसों को फैलने से रोकता है। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में इन मच्छरों पर चार साल तक किए गए परीक्षण के बाद डेंगू का कोई भी केस सामने नहीं आया।

अब ब्राजील और इंडोनेशिया में प्रयोग
ऑस्टे्रलिया में सफल प्रयोग के बाद शोधकर्ता इन मच्छरों का इंडोनेशिया और जीका वायरस के लिए ब्राजील के रियो डे जेनेरियो में परीक्षण कर रहे हैं। मोनाश विश्वविद्यालय ऑस्ट्रेलिया में विश्व मच्छर प्रोग्राम के निदेशक ओ नील का कहना है कि रियो की जनसंख्या ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले छह गुना अधिक और क्षेत्रफल दो गुना है। रियो दुनिया के सबसे दुर्गम स्थानों में से एक है, यदि यहां परीक्षण सफल होता है तो इसे पूरी दुनिया में सफल माना जाएगा।

मलेरिया की भी रोकथाम संभव
शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि लंबे परीक्षण के बाद वोल्बैकिया बैक्टीरिया सुरक्षित साबित होता है तो इसे मलेरिया की रोकथाम के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

आशा की किरण
ओ नील कहते हैं, डेंगू और जीका दुनिया में महामारी का रूप लेते जा रहे हैं। ऐसे में इनकी रोकथाम के लिए इस प्रयोग का सफल होना हमारे लिए आशा की किरण है।

कैसे इतनी तेजी से बढ़ते हैं मलेरिया के परजीवी
जर्मनी में रहने वाले भारतवंशी वैज्ञानिक डॉक्टर प्रज्ज्वल नांदेकर ने अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर मनुष्य के शरीर में मलेरिया फैलाने वाले रोगाणु के तेजी से बढ़ने का कारण खोज लिया है। उनके इस शोध से मलेरिया का सटीक इलाज ढूंढ़ने की उम्मीद बढ़ गई है। मलेरिया प्लाजमोडियम परजीवी के कारण होता है जो संक्रमित मच्छर के द्वारा व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है। शरीर में प्रवेश करते ही यह परजीवी मरीज के लिवर में तेजी से बढ़कर लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करना शुरू कर देता है। दुनियाभर में हर साल मलेरिया से चार लाख लोगों की मौत हो जाती है। अकेले भारत में करीब 13 लाख लोग इससे संक्रमित हैं।

नांदेकर ने कहा, 'मनुष्य और परजीवी में मौजूद एक्टिन एसिड की संरचना भिन्न होती है। एक्टिन एसिड के कई अणु एक साथ इकट्ठा होकर परजीवी में लंबी रस्सी के तरह की संरचना बना लेते हैं। इसी संरचना के कारण परजीवी तेजी से व्यक्ति के शरीर में फैलता है। इन रोगाणुओं के बढ़ने का कारण जानना मलेरिया का इलाज ढूंढ़ने की तरफ पहला कदम है। इस शोध के बाद परजीवी को रोकना और मलेरिया के इलाज के नई दवाएं बनाई जा सकेंगी।' 


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