Move to Jagran APP

अकेलापन बढ़ाता है भविष्य में बेरोजगारी का जोखिम, इस व्यापक असर को समझना है बेहद जरूरी

यूनिवर्सिटी आफ एक्सटर की शोधार्थी और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक निया मारिश ने बताया कि अकेलापन और बेरोजगारी दोनों का ही स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर प्रभाव होता है। इसलिए दोनों ही स्थितियों से बचने का उपाय करना काफी अहम है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 02 May 2022 08:23 PM (IST)Updated: Mon, 02 May 2022 08:29 PM (IST)
अकेलापन बढ़ाता है भविष्य में बेरोजगारी का जोखिम, इस व्यापक असर को समझना है बेहद जरूरी
अकेलापन के असर को शारीरिक और मानसिक सेहत के दायरे से आगे भी सोचने की जरूरत (फोटो सोर्स: एएफपी)

एक्सटर (ब्रिटेन), एएनआइ। अकेलापन जिंदगी में कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं होती हैं। अब एक नए शोध में बताया गया है कि जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं उनमें आगे चलकर बेरोजगारी का ज्यादा जोखिम होता है। इसमें कहा गया है कि जिन लोगों ने बताया कि वे अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं, उन्हें आगे चलकर नौकरी छूटने की घटनाओं का का ज्यादा सामना करना पड़ता है।

loksabha election banner

यूनिवर्सिटी आफ एक्सटर के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन निष्कर्ष 'बीएमसी पब्लिक हेल्थ' जर्नल में प्रकाशित हुआ है। पहले के अध्ययनों में यह बताया जा चुका है कि बेरोजगार लोग ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं। जबकि यह पहला अध्ययन है, जो पूर्व अवधारणाओं के उलट सीधे इस बात की पड़ताल की है कि क्या कामकाजी आबादी को अकेलापन से बेरोजगारी बढ़ती है। विश्लेषण में इसकी पुष्टि होने के साथ ही पुरानी अवधारणा भी सही पाई गई कि जो लोग बेरोजगार होते हैं, वे आगे चलकर अकेलापन भी ज्यादा महसूस करते हैं।

यूनिवर्सिटी आफ एक्सटर की शोधार्थी और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक निया मारिश ने बताया कि अकेलापन और बेरोजगारी दोनों का ही स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर प्रभाव होता है। इसलिए दोनों ही स्थितियों से बचने का उपाय करना काफी अहम है।

उन्होंने बताया कि अकेलापन कम होने से बेरोजगारी की स्थिति कम होगी और रोजगार से अकेलापन दूर होता है, जो स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को सकारात्मक तौर पर प्रभावित करेगा। इसलिए जरूरी है कि नियोक्ता और सरकार की मदद से अकेलापन की स्थिति दूर करने के लिए खास ध्यान दिया जाना चाहिए, जिससे कि लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण संबंधी गतिविधियों में सुधार आएगा।

उन्होंने बताया कि यह अध्ययन वैसे तो कोरोना महामारी से पहले किया गया, लेकिन हमें लगता है कि कोरोना काल में घर से काम करने के दौरान लोगों ने ज्यादा अकेलापन महसूस किया है। इस लिहाज से यह अध्ययन आज की स्थिति में ज्यादा प्रासंगिक हो गया है।

15 हजार से ज्यादा लोगों के डाटा का किया गया विश्लेषण

शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन के लिए 15 हजार से ज्यादा लोगों के डाटा का विश्लेषण किया। टीम ने इसके लिए 2017-2019 के बीच प्रतिभागियों के जवाब के आधार पर डाटा संग्रह किया। उसके बाद 2018-2020 के बीच कंट्रोलिंग फैक्टर यथा- उम्र, लिंग, जातीयता, शिक्षा, वैवाहिक स्थिति, घर की स्थिति तथा अपने बच्चों के बारे में भी जानकारी एकत्र की।

व्यक्तिगत और आर्थिक स्तर पर डालता है नकारात्कम प्रभाव

अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका प्रोफेसर एंटोनिएटी मेडिना-लारा ने बताया- अकेलापन अविश्वसनीय रूप से एक सामाजिक समस्या है, जिसके बारे अक्सर सिर्फ इस दृष्टिकोण से सोचा जाता है कि उससे मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण संबंधी गतिविधियां ही प्रभावित होती हैं। लेकिन हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि उसका इस दायरे के बाहर भी व्यापक असर होता है, जो व्यक्तिगत और आर्थिक स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसलिए हमें इस बारे में और अधिक सोचने-समझने की जरूरत है। उससे नियोक्ता और नीति निर्धारकों को अकेलेपन से होने वाले नुकसान से निपटने की पहल के लिए बुनियाद का काम करेगा और लोगों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकेगी।

कामकाजी उम्र के किसी भी चरण में अकेलापन बढ़ाता है बेरोजगारी का जोखिम

शोधपत्र की सह-लेखिका तथा यूनिवर्सिटी आफ लीड्स के स्कूल आफ मेडिसिन में हेल्थ इकोनामिक्स की एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर रूबेन मुजिका-मोता ने बताया कि पूर्व के अध्ययनों में बताया गया है कि बेरोजगारी से अकेलापन पैदा होता है, लेकिन हमारा यह पहला अध्ययन है, जिसमें यह निष्कर्ष निकल कर आया कि कामकाजी उम्र के किसी भी चरण में अकेलापन बेरोजगारी का जोखिम बढ़ाता है।

उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि ये दोनों ही मुद्दे आपस में मिलकर एक नकारात्मक चक्र पैदा करते हैं। इसलिए जरूरी है कि अकेलापन का कामकाजी उम्र के लोगों के जरिये समाज पर होने वाले प्रभाव को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.