सच और झूठ बोलने वालों को पकड़ना आसान ही नहीं, नामुमकिन भी
ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इडेनबर्ग के शोधकर्ताओं ने इसे साबित करने के लिए कंप्यूटराइज्ड गेम का सहारा लिया।
लंदन, प्रेट्र। कोई व्यक्ति झूठ बोल रहा है या सच, यह पता लगाना उतना आसान नहीं है जितना हम समझते हैं। आमतौर पर हम बात कर रहे व्यक्ति की हिचक, उसके हाथों व चेहरे के हाव-भाव आदि को देखकर तय करते हैं कि वह झूठ बोल रहा या नहीं। हालांकि, इस तरह के संकेत सच बोलते वक्त ज्यादा दिखाई देते हैं। झूठ बोलने में माहिर व्यक्ति ऐसे संकेतों को दबा देता है ताकि वह पकड़ा ना जाए।
ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इडेनबर्ग के शोधकर्ताओं ने इसे साबित करने के लिए कंप्यूटराइज्ड गेम का सहारा लिया। गेम में 24 जोड़ों को शामिल किया गया। जोड़े में से एक को खजाने तक पहुंचना था और दूसरा झूठ बोलकर उसे रोक या भ्रमित कर सकता था। इस दौरान झूठ बोलते व्यक्ति के हाव-भाव का विश्लेषण किया गया। साथ ही उन संकेतों का भी अध्ययन किया गया जिसे झूठ पकड़ने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
शोधकर्ता मार्टिन कोर्ली ने कहा, 'हम झूठ बोलने वाले व्यक्ति के व्यवहार को लेकर पूर्वाग्रह से ग्रसित होते हैं। इसी से हम आम बातचीत के दौरान तय कर लेते हैं कि सामने वाला व्यक्ति सच बोल रहा या झूठ। शोध से स्पष्ट हो गया है कि ऐसे संकेतों से झूठ नहीं पकड़ा जा सकता क्योंकि झूठ बोलने वाले इनसे बचते हैं।'