एक और ISIS जिहादी वापस आना चाहता है अपने देश, सरकार से लगाई गुहार
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल युवती शमीमा बेगम के बाद अब एक युवक ने वतन वापसी के लिए ब्रिटेन सरकार से इजाजत मांगी है।
लंदन, प्रेट्र। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल युवती शमीमा बेगम के बाद अब एक और युवक ने वतन वापसी के लिए ब्रिटेन सरकार से इजाजत मांगी है। जैक लेट्स उर्फ जिहादी जैक नाम के इस ब्रिटिश मुस्लिम युवक ने कहा है वह अपने घर और मां को बहुत मिस कर रहा है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू वे जैक ने कहा कि 'मैं अपने लोगों को बहुत याद कर रहा हूं। पांच साल से मैंने अपनी मां को नहीं देखा है और दो साल से बात भी नहीं हो पायी है। मैं अपनी मां और परिजनों से मिलना चाहता हूं।'
टीवी चैनल से बातचीत में जिहादी जैक ने कहा कि मैं खुद को ब्रिटिश नागरिक मानता हूं। अगर ब्रिटिश सरकार ने मुझे स्वीकार किया तो मैं घर वापस आने को तैयार हूं। हालांकि जैक ने कहा कि उसे नहीं लगता ब्रिटिश सरकार स्वदेश आने के लिए इजाजत देगी।
बता दें कि जैक के माता-पिता जॉन लेट्स और सारा लेन पर टेरर फंडिंग का आरोप है और कोर्ट में उनका ट्रायल चल रहा है। आरोप है कि आतंकी गतिविधियों में लिप्त बेटे को इन्होंने पैसे मुहैया कराए हैं। हालांकि जैक के परिजन इससे इनकार करते रहे हैं। जिहादी जैक के इस इंटरव्यू पर अभी तक ब्रिटेन सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।
जिहादी जैक 2014 में सीरिया आया था जहां पर कुर्द नेतृत्व वाले वाईपीजी( Kurdish-led YPG) नाम के एक संगठन ने जैक को पकड़ लिया और आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल करने लगे। बाद में जैक आतंकियों की राजधानी रक्का से किसी तरह भाग गया। सीरिया में इसे गिरफ्तार कर लिया गया और जैक पर इस्लामिक स्टेट (ISIS) में काम करने का आरोप लगा। फिलहाल 23 वर्षीय जैक सीरिया के एक जेल में बंद है।
इससे पहले ब्रिटेन ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए चार साल पहले घर से भागी बांग्लादेशी मूल की युवती शमीमा बेगम (19) की नागरिकता रद कर दी थी। शमीमा ने भी जिहादी जैक की तरह स्वदेश आने के लिए सरकार से इजाजत मांगी थी। आइएस में शामिल होने के लिए शमीमा 2015 में अपनी दो सहपाठियों के साथ सीरिया पहुंच गई थी। वहां उसने एक आतंकी से शादी कर ली थी। उसके दो बच्चों की मौत हो चुकी है। बीते दिनों आइएस के कब्जे वाले इकलौते सीरियाई गांव से भागकर आने के बाद शरणार्थी शिविर में उसने अपने तीसरे बच्चे को जन्म दिया था।