Move to Jagran APP

उइगरों के खिलाफ चीन की कार्रवाई से गुस्‍साए कई देशों के सांसद, ड्रैगन के निवेश को की बंद करने की मांग

चीन लगातार उइगरों के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम दे रहा है। इसको देखते हुए दस देशों के 35 सांसदों ने अपने यहां की सरकारों से मांग की है कि चीन के निवेश को हर हाल में बंद किया जाना चाहिए।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 12:07 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 12:07 PM (IST)
उइगरों के खिलाफ चीन की कार्रवाई से गुस्‍साए कई देशों के सांसद, ड्रैगन के निवेश को की बंद करने की मांग
अपने यहां पर चीन का निवेश रोकने की मांग

लंदन (एएनआई)। चीन द्वारा उइगरों पर किए जा रहे अत्‍याचारों के खिलाफ यूरोपीयन यूनियन, अमेरिका, आस्‍ट्रेलिया और कनाडा के सांसदों ने अपने यहां पर सरकार से चीन के निवेश को रोकने की अपील की है। इन सांसदों की अपील है कि चीन लगातार शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ मानवाधिकार का उल्‍लंघन कर रहा है उनको प्रताडि़त कर रहा है। इसके लिए उसके खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। चीन के खिलाफ इन देशों के सांसदों का ये रुख उस रिपोर्ट के बाद सामने आया है जिसमें बताया गया है कि एचएसबीसी बैंक के पास झिंजियांग प्रोडक्शन एंड कंस्ट्रक्शन कार्प्‍स की एक सहायक कंपनी में शेयर हैं। इस कंपनी को वर्ष 2020 में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा प्रतिबंधित किया गया था।

loksabha election banner

इंटर-पार्लियामेंटरी एलाइंस आन चाइना (आईपीएसी) का कहना है कि दस देशों के करीब 35 सांसदों ने अपनी सरकार से चीनी निवेश को ब्‍लैक लिस्‍ट करने उन कंपनियों का पता लगाने को कहा है जो प्रतिबंधित हैं। पिछले सप्‍ताह ही आईपीएसी के सौजन्‍य से एक पत्र इस बाबत भेजा गया है। इस पर यूरोपीयन पार्लियामेंट्स चाइना डेलिगेशन के रेनहार्ड बुटिकोफर, ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी के पूर्व नेता डंकन स्मिथ, आस्‍ट्रलिया की लेबर पार्टी के सांसद किंबरले किचिंग और भारत की बीजू जनता दल के सुजीत कुमार समेत कई अन्‍य ने साइन किए हैं। इस पत्र को वित्‍त मंत्रालय, यूरोपीयन कमीशन आदि को भेजा गया है।

बता दें कि चीन द्वारा लंबे समय से शिंजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों को प्रताडि़त किए जाने की खबरें में मीडिया में प्रकाशित होती रही हैं। इसके खिलाफ अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने आवाज भी उठाई है। अमेरिका लगातार इस मुद्दे पर चीन को कटघरे में खड़ा करता रहा है। वहीं चीन इन तमाम आरोपों को गलत बताता रहा है। चीन का ये भी कहना है कि उनके आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेप का अधिकार किसी के पास नहीं है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.