भारतीय टेलीस्कोप ने खोजी आकाशगंगा, धरती से 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर है यह आकाश गंगा
भारतीय टेलीस्कोप की मदद से ब्रह्माांड में अब तक की सबसे दूर स्थित रेडियो आकाशगंगा की खोज की है।
लंदन [ प्रेट्र ] । खगोलशास्ति्रयों ने एक भारतीय टेलीस्कोप की मदद से ब्रह्माांड में अब तक की सबसे दूर स्थित रेडियो आकाशगंगा की खोज की है। यह हमारी धरती से 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। यह सक्रिय आकाशगंगा का एक प्रकार है। इस तरह की आकाश गंगाएं रेडियो वेवलेंथ पर ज्यादा चमकीली होती हैं। पुणे में स्थित गेंट मीटर-वेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) द्वारा खोजी गई यह आकाशगंगा उस दौर की है जब ब्रह्माांड की उत्पत्ति को ज्यादा समय नहीं हुआ था।
इस आकाशगंगा की दूरी हवाई में स्थित जेमिनी नार्थ टेलीस्कोप और एरिजोना में स्थित लार्ज बाइनोक्युलर टेलीस्कोप की मदद से निर्धारित की गई है। रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, अनुमान है कि यह आकाशगंगा उस समय की है, जब ब्रह्माांड की उत्पत्ति को महज एक अरब साल हुए थे।
नीदरलैंड्स के लीडेन आब्जरवेटरी के खगोलविद आयुष सक्सेना ने कहा, 'यह बेहद चकित करने वाली बात है कि इस तरह की आकाशगंगाएं इतनी कम अवधि में अपना द्रव्यमान कैसे बना लेती हैं।' लीडेन के ही एक अन्य खगोलविद हब रोटगेरिंग ने कहा, 'चमकीली रेडियो आकाशगंगाओं में विशालकाय ब्लैक होल होते हैं। ब्रह्माांड के प्रारंभिक इतिहास के समय की आकाशगंगा की खोज करना अद्भुत है।'
पुणे में स्थित है टेलीस्कोप आकाशगंगा की खोज करने वाला गेंट मीटर-वेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) पुणे में स्थित है। इस रेडियो दूरबीन का व्यास 45 मीटर है। इसका संचालन राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र द्वारा किया जाता है। दुर्लभ हैं रेडियो गैलेक्सी ब्रह्माांड में रेडियो गैलेक्सी (आकाशगंगाएं) दुर्लभ होती हैं। ये बेहद चमकीली होती हैं। इनके केंद्र में एक विशालकाय ब्लैक होल होता है। यह सक्रियता के साथ अपने इर्दगिर्द गैस और धूल की उत्पत्ति करता है।