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होमवर्क और एक्स्ट्रा क्लास के मामले में अन्य देशों से आगे हैं भारतीय छात्र

कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अध्ययन में सामने आई जानकारी, दो तिहाई भारतीय स्कूल के बाद प्रमुख विषयों के लिए लेते हैं ट्यूशन

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 12:27 PM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 12:39 PM (IST)
होमवर्क और एक्स्ट्रा क्लास के मामले में अन्य देशों से आगे हैं भारतीय छात्र
होमवर्क और एक्स्ट्रा क्लास के मामले में अन्य देशों से आगे हैं भारतीय छात्र

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय छात्र अन्य देशों के छात्रों की तुलना में अधिक एक्स्ट्रा क्लासेज करते हैं। इसके अलावा सह-पाठ्यचर्या यानी को-करिकुलम गतिविधियों में भी ज्यादा रुचि दिखाते हैं। यह बात कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में कही गई है। अध्ययन के मुताबिक दो तिहाई भारतीय छात्र स्कूल के बाद प्रमुख विषयों के लिए ट्यूशन लेते हैं। करीब 72 फीसद छात्र सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों में भाग लेते हैं।

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गौर करने वाली बात यह भी है कि 74 फीसद छात्र कहते हैं कि वे नियमित रूप से स्कूल में स्पोर्ट्स में हिस्सा लेते हैं। होमवर्क के मामले में भी भारतीय छात्र अन्य देशों से काफी आगे हैं। अध्ययन में पाया गया है कि 40 फीसद भारतीय छात्र होमवर्क पर दो से चार घंटे लगाते हैं, जबकि 37 फीसद छात्र सप्ताहांत में भी इसके लिए इतना ही वक्त लगाते हैं।

इस सर्वे को कैंब्रिज विश्वविद्यालय के कैंब्रिज एसेसमेंट इंटरनेशनल एजुकेशन (कैंब्रिज इंटरनेशनल) द्वारा कराया गया है। इसके तहत दुनियाभर के 20 हजार शिक्षकों और विद्यार्थियों से सवाल पूछे गए। इनमें से 4400 शिक्षक और 3800 विद्यार्थी भारत से थे। इसके जरिये यह पता लगाने की कोशिश की गई कि दुनियाभर के स्कूलों में विद्यार्थियों और शिक्षकों की जिंदगी कैसे कटती है।

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन में सबसे ज्यादा (58 फीसद) छात्रों ने एक्स्ट्रा क्लासेज लेने की बात मानी। इसमें यह भी बताया गया है कि 74 फीसद बच्चे गणित, 64 फीसद भौतिकी और 62 फीसद रसायन विज्ञान के लिए एक्स्ट्रा क्लासेज लेते हैं।

भारतीय छात्रों के लिए सह-पाठ्यचर्चा के लिए सबसे ज्यादा अच्छा वाद विवाद (डिबेट) को मानते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे में शामिल छात्रों में से 36 फीसद ने कहा कि वे वाद विवाद में दिलचस्पी लेते हैं। वहीं, विज्ञान क्लब में 28 फीसद, कला में 25 फीसद और बुक क्लब में 22 फीसद छात्र हिस्सा लेते हैं।

अध्ययन में यह भी पता चला कि ज्यादातर भारतीय शिक्षक छात्रों के बेहतर प्रदर्शन को लेकर दबाव महसूस नहीं करते हैं। इसके बावजूद वे अपने छात्रों की सफलता के लिए जी-जान लगा देते हैं। अध्ययन के मुताबिक 42 फीसद शिक्षकों ने कहा कि उनके पास अच्छे पेशेवर अवसर हैं और 67 फीसद शिक्षण को एक बेहतर करियर के रूप में पाते हैं।

भारत में सर्वे किए गए अधिकांश शिक्षकों (करीब 73 फीसद) का कहना है कि वे अपने छात्रों को विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के जवाब देने के लिए तैयार करने में मदद करते हैं। इसके अलावा करीब 68 फीसद शिक्षक छात्रों को परीक्षा में अपना समय संयोजन के महत्व को बताने से नहीं चूकते।

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि भारतीय मात-पिता अपने बच्चों की शिक्षा में गहरी दिलचस्पी दिखाते हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सर्वे में शामिल 66 फीसद छात्रों ने यह माना कि उनके माता-पिता रोजाना उनसे स्कूल के बारे में जानकारी लेते हैं। 50 फीसद छात्र यह मानते हैं कि उनके माता-पिता स्कूल में होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करते हैं। साथ ही 41 फीसद माता-पिता पैरेंट्स-टीचर एसोसिएशन की मदद करते हैं।  


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