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भारतीय वैज्ञानिक ने आर्सेनिक की अधिकता वाली जमीन में भी सुरक्षित अनाज उगाया

आर्सेनिक के इस प्रवाह को रोकने के लिए पौधों में प्राकृतिक रूप से फायोचिलेटिंस पाए जाते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 09:45 PM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2018 09:45 PM (IST)
भारतीय वैज्ञानिक ने आर्सेनिक की अधिकता वाली जमीन में भी सुरक्षित अनाज उगाया
भारतीय वैज्ञानिक ने आर्सेनिक की अधिकता वाली जमीन में भी सुरक्षित अनाज उगाया

लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन में एक भारतीय वैज्ञानिक ने आर्सेनिक की अधिकता वाली जमीन में भी सुरक्षित अनाज उगाने का तरीका ईजाद किया है। इस खोज से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों के किसानों को व्यापक लाभ मिल सकता है।

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ब्रिटेन में भारतीय वैज्ञानिक ने जौ पर किया सफल प्रयोग, अब चावल पर परीक्षण की तैयारी

यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज की डॉ. एलेक्स जोंस प्रयोगशाला में कार्यरत डॉ. मोहन टीसी ने जौ पर प्रयोग को अंजाम दिया है और अब चावल पर इसे आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'कैंसर का कारण बनने वाले आर्सेनिक को अनाज में शामिल होने से रोकने के लिए जरूरी है कि फसलों को सुरक्षित तरीके से उगाया जाए।'

वारविक यूनिवर्सिटी ने कहा कि मिट्टी में आर्सेनिक की अधिकता एक वैश्विक समस्या है। विशेषरूप से पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में यह समस्या गंभीर है।

आर्सेनिक का सबसे खतरनाक स्वरूप होता है आर्सेनेट। यह काफी हद तक फॉस्फेट जैसा ही होता है। इसी कारण यह फॉस्फेट की तरह फसल की जड़ों से होता हुआ उसकी कोशिकाओं में समा जाता है। यह आर्सेनिक पैदा होने वाले अनाज तक पहुंच जाता है और सेहत को नुकसान पहुंचाता है।

आर्सेनिक के इस प्रवाह को रोकने के लिए पौधों में प्राकृतिक रूप से फायोचिलेटिंस पाए जाते हैं। डॉ. मोहन और उनकी टीम यह प्रयोग कर रही है कि कैसे पौधों की जड़ों में फायोचिलेटिंस की मात्रा बढ़ाई जाए, जिससे आर्सेनिक की अधिकता वाली जमीन में भी सुरक्षित अनाज पैदा करना संभव हो सके।


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