भारतीय मूल के चिकित्सक दंपती ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कानूनी जंग की शुरू, जानें क्या है पूरा मामला
डॉ. निशांत जोशी और उनकी गर्भवती पत्नी डॉ. मीनल विज ने कोरोना महामारी के बीच ब्रिटिश सरकार के खिलाफ न्यायिक समीक्षा की कार्रवाई आरंभ की है।
लंदन, प्रेट्र। भारतीय मूल के एक चिकित्सक दंपती ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच ब्रिटिश सरकार के खिलाफ न्यायिक समीक्षा की कार्रवाई आरंभ की है। चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यसेवा कर्मियों की पीपीई से जुड़ी सुरक्षा संबंधी चिंताओं के निपटारे से इन्कार करने को लेकर यह कार्रवाई शुरू की गई है। डॉ. निशांत जोशी और उनकी गर्भवती पत्नी डॉ. मीनल विज ने ब्रिटेन के स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल विभाग और जन स्वास्थ्य विभाग से सवालों का जवाब मांगते हुए अप्रैल में कानूनी कार्रवाई शुरू की थी।
लंदन के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे
उन्होंने इस मामले में लंदन के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया, क्योंकि उनका मानना है कि वे अब और इंतजार नहीं कर सकते। दंपती ने बयान में कहा, हम यह नहीं करना चाहते थे। ऐसा करने का हमारा इरादा नहीं था। हम वैश्विक महामारी से निपट रहे चिकित्सक हैं। हम लोगों का जीवन बचाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। लेकिन हमारे द्वारा उठाए मामलों के निपटारे से सरकार ने इन्कार कर दिया, जिसके कारण हमें यह कदम उठाना पड़ा।
सुरक्षा के पर्याप्त उपकरण नहीं देने से काम करने से इनकार का अधिकार
उनकी कानूनी फर्म बिंदमंस ने कहा कि न्यायिक समीक्षा की चुनौती पीपीई पर सरकार के मार्गदर्शन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित मार्गदर्शन के बेमेल साबित होती है, जिसमें पूर्ण पीपीई की आवश्यकता के संबंध में भी शामिल है। पीपीई के पुन: उपयोग और पुनर्संसाधन के संबंध में जिसमें ऐसी सर्जिकल गाउन, फेस वीवर्स और दस्ताने शामिल हैं।
डॉक्टरों के मामले में दावा किया गया है कि पीपीई को उपलब्ध करा पाने पर सरकार का मार्गदर्शन विफल हो रहा है। जबकि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के जोखिम के कारण पीपर्इ को उपलब्ध उनके लिए आवश्यक है। अपर्याप्त पीपीई उपलब्ध होने पर डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के काम करने से इनकार करने का कानूनी अधिकार है।