ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में बढ़ सकते हैं भारतीय और चीनी छात्र
UK के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों का प्रबंधन ज्यादा भारतीय और चीनी छात्रों को प्रवेश देकर आर्थिक संकट पर काबू पाने पर विचार कर रहा है।
लंदन, प्रेट्र। ब्रेक्जिट के चलते ब्रिटेन के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। अब उनका प्रबंधन ज्यादा भारतीय और चीनी छात्रों को प्रवेश देकर इस संकट पर काबू पाने पर विचार कर रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के छात्र स्थानीय छात्रों की तुलना में ज्यादा फीस देते हैं।
ग्लासगो यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एंटन मस्केटली के अनुसार आर्थिक चुनौतियां बढ़ने की वजह से प्रमुख यूनिवर्सिटी विदेशी छात्र-छात्राओं को ज्यादा संख्या में प्रवेश देने पर विचार कर रही हैं। जिन देशों को प्रमुखता मिलने की उम्मीद है उनमें भारत और चीन मुख्य हैं।
मस्केटली रसेल ग्रुप के चेयरमैन भी हैं जो ब्रिटेन में शिक्षा से जुड़े 24 प्रमुख संस्थान चलाता है। द संडे टाइम्स से वार्ता में उन्होंने कहा, ग्लास्गो यूरोपियन यूनिवर्सिटी विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ाकर कुल छात्र संख्या की आधी तक करने पर विचार कर रही है। इससे आय में हुई तेज गिरावट पर काबू पाया जा सकेगा।
ब्रिटेन का उच्च शिक्षा उद्योग इस समय आशंकाओं से दो-चार है। अगर ब्रिटेन बिना किसी समझौते के यूरोपीय यूनियन (ईयू) छोड़ता है तो वह शोध के लिए ईयू से मिलने वाले 1.3 अरब पाउंड की बड़ी धनराशि खो देगा। ब्रिटेन में समीक्षा के बाद सरकार अंडर ग्रेजुएट विद्यार्थियों के लिए यूनिवर्सिटी फीस कम करने की घोषणा करने पर विचार कर रही है।
स्थानीय छात्रों के लिए यह वार्षिक फीस 6,500 पाउंड हो सकती है। यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन के प्रेसिडेंट प्रोफेसर माइकेल आर्थर के अनुसार ये स्थितियां ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी में स्थानीय छात्रों की संख्या कम कर सकती हैं और विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ा सकती हैं। विदेशी छात्रों की संख्या यूनिवर्सिटी की कुल छात्र संख्या की आधी तक हो सकती है। इससे यूनिवर्सिटी की आर्थिक स्थितियों में सुधार होगा।