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भारत ने की किसानों के प्रदर्शन पर ब्रिटेन के सांसदों की चर्चा में किए गए झूठे दावों की निंदा

भारत इसकी कड़ी निंदा करता है। उच्चायोग द्वारा जारी बयान में कहा गया बेहद निराशाजनक है कि एक संतुलित बहस के बजाय बिना किसी ठोस आधार के झूठे दावे किए गए...। इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक और उसके संस्थानों पर सवाल खड़े किए हैं।

By TilakrajEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 11:04 AM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 11:04 AM (IST)
भारत ने की किसानों के प्रदर्शन पर ब्रिटेन के सांसदों की चर्चा में किए गए झूठे दावों की निंदा
चर्चा एक लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर वाली ‘ई-याचिका’ पर की गई

लंदन, पीटीआइ। भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर विदेशों से भी टिप्‍पणी की जा रही है। हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि ये हमारा आंतरिक मामला है और इसमें किसी अन्‍य पक्ष को आने की जरूरत नहीं है। किसानों के साथ बातचीत कर समस्‍या का समाधान निकाला जा रहा है। इसके बावजूद लंदन में भारतीय उच्चायोग ने भारत में तीन कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर एक ‘ई-याचिका’ पर कुछ सांसदों के बीच चर्चा हुई। भारत ने इसकी कड़ी निंदा की है।

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भारतीय उच्चायोग ने सोमवार शाम ब्रिटेन के संसद परिसर में हुई चर्चा की निंदा करते हुए कहा कि इस 'एक तरफा चर्चा' में झूठे दावे किए गए हैं। भारत इसकी कड़ी निंदा करता है। उच्चायोग द्वारा जारी बयान में कहा गया, 'बेहद निराशाजनक है कि एक संतुलित बहस के बजाय बिना किसी ठोस आधार के झूठे दावे किए गए...। इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक और उसके संस्थानों पर सवाल खड़े किए हैं।'

बता दें कि यह चर्चा एक लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर वाली ‘ई-याचिका’ पर की गई। भारतीय उच्चायोग ने इस चर्चा पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। हालांकि, ब्रिटेन की सरकार पहले ही भारत के तीन नए कृषि कानूनों के मुद्दे को उसका 'घरेलू मामला' बता चुकी है। ब्रिटिश सरकार ने इस मुद्दे पर साफ कहा है कि भारत और ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बेहतरी के लिए एक बल के रूप में काम करते हैं और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग कई वैश्विक समस्याओं को सुलझाने में मदद करता है। वहीं उच्चायोग ने कहा कि उसे उक्त बहस पर प्रतिक्रिया देनी पड़ी, क्योंकि उसमें भारत को लेकर आशंकाएं व्यक्त की गई थीं।

उल्‍लेखनीय है कि भारत में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कुछ किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शन को 100 से अधिक दिन हो गए हैं। इस दौरान किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्‍टर रैली के दौरान दिल्‍ली में कई जगह हिंसा भी हुई। किसान और सरकार के बीच कई स्‍तर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। हालांकि, सरकार को विश्‍वास है कि किसानों को बातचीत के जरिए मना लिया जाएगा।


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