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इंसानी गतिविधियों से बढ़ा भूस्खलन, भारत सबसे ज्यादा प्रभावित

इंसानी गतिविधियों के कारण भयंकर भूस्खलन बढ़ने की दर भारत में सबसे अधिक है। इसके बाद क्रमश: पाकिस्तान म्यांमार और फिलीपींस का नंबर आता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 10:56 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 10:56 AM (IST)
इंसानी गतिविधियों से बढ़ा भूस्खलन, भारत सबसे ज्यादा प्रभावित
इंसानी गतिविधियों से बढ़ा भूस्खलन, भारत सबसे ज्यादा प्रभावित

लंदन [प्रेट्र]। भूस्खलन के कारण वर्ष 2004 से 2016 के दौरान 50 हजार से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी है। यह बात ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के शोधकर्ताओं के अध्ययन में सामने आई है। शोधकर्ताओं की टीम ने अध्ययन के लिए इन वर्षों के दौरान 4,800 से अधिक भयंकर भूस्खलन के डाटा को एकत्र किया। इस अध्ययन में पहली बार यह सामने आया कि इंसानी गतिविधियों के कारण भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

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यूरोपियन जीओसाइंसेज यूनियन जर्नल नेचुरल हैजर्ड और अर्थ सिस्टम साइंसेज में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि उपरोक्त वर्षों के दौरान हुए 700 भयंकर भूस्खलन के पीछे इंसानी गतिविधियां जिम्मेदार थीं। लगातार बढ़ता निर्माण कार्य, कानूनी और गैरकानूनी खनन, पहाड़ों की अनियमित कटाई आदि वे सबसे बड़े इंसानी कारण हैं, जिनके चलते ये घटनाएं बढ़ रही हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के भूगोल विभाग में पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता और इस अध्ययन की प्रमुख लेखक डॉ. मेलानी फ्राउडे के मुताबिक, हम पहले से जानते थे कि इंसानों का स्थानीय वातावरण में अधिक हस्तक्षेप इन घटनाओं के बढ़ने का कारण है। अब आंकड़ों से इस बात की पुष्टि हो गई है।

भारत सबसे ज्यादा प्रभावित

शोधकर्ताओं के मुताबिक, हालांकि यह प्रवृत्ति पूरी दुनिया में देखी जा रही है, लेकिन एशिया महाद्वीप इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है। डॉ. मेलानी आगे कहते हैं, भयंकर भूस्खलन की घटनाओं में शामिल सभी शीर्ष 10 देश एशिया महाद्वीप के हैं। वहीं, भारत की बात करें तो वह इन घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित है। यहां इस तरह की 20 फीसद घटनाओं में जिम्मेदारी इंसानों की है। वहीं, इंसानी गतिविधियों के कारण भयंकर भूस्खलन बढ़ने की दर भी भारत में सबसे अधिक है। इसके बाद क्रमश: पाकिस्तान म्यांमार और फिलीपींस का नंबर आता है।

इस वजह से एकत्र किए आंकड़े

यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड में रिसर्च एंड इनोवेशन के उपाध्यक्ष प्रोफेसर डेव पेटली ने भयंकर भूस्खलन के आंकड़ों को इस कारण एकत्र करना शुरू किया था क्योंकि उन्हें महसूस हुआ था कि प्राकृतिक आपदा के आंकड़ों के आधार पर भूस्खलन के पीछे के कारणों को नहीं जाना जा सकता है। वह कहते हैं, हालांकि भूकंप और तूफान सबसे भयंकर हैं, लेकिन भूस्खलन से मरने वालों की संख्या भी बहुत अधिक है। 2004 से 2016 के मध्य 4,800 भयंकर भूस्खलन के कारण करीब 56,000 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।

केदारनाथ में सबसे बड़ी त्रासदी

इन सब घटनाओं में शोधकर्ता केदारनाथ के भूस्खलन को सबसे बड़ी त्रासदी बताते हैं। जून 2013 में इस घटना के कारण पांच हजार से अधिक लोगों की जान गई थी। इस घटना के कारण हजारों तीर्थयात्री प्रभावित हुए थे। 


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