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20 मील पैदल चलकर वक्‍त पर ऑफिस पहुंचा ये शख्‍स, बॉस ने खुश होकर सौंंप दी कार

कुछ बॉस और कुछ एम्‍प्‍लॉय अलग ही होते हैं। उनमें भी ऐसे तो शायद ही होते होंगे जो एम्‍प्‍लॉय से खुश होकर उसे अपनी गाड़ी ही सौंप दे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 03:18 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 09:51 PM (IST)
20 मील पैदल चलकर वक्‍त पर ऑफिस पहुंचा ये शख्‍स, बॉस ने खुश होकर सौंंप दी कार
20 मील पैदल चलकर वक्‍त पर ऑफिस पहुंचा ये शख्‍स, बॉस ने खुश होकर सौंंप दी कार

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। बॉस और एम्‍प्लॉय की अजब ही कहानियां होती है। अकसर ये दोनों एक दूसरे के अपोजिट काम करते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन कुछ बॉस और कुछ एम्‍प्‍लॉय अलग ही होते हैं। उनमें भी ऐसे तो शायद ही होते होंगे जो एम्‍प्‍लॉय के जॉब पर पहले ही उससे खुश होकर उसे अपनी गाड़ी ही सौंप दे। ये कहानी जरा फिल्‍मी लगती है, लेकिन ऐसा है नहीं। दरअसल ये कहानी बिलकुल असली है।

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20 मील की दूरी और पैदल का सफर
असल में हुआ कुछ यूं कि अलबामा के स्‍टूडेंट वाल्‍टर कार्र को पहली जॉब उसके घर से करीब 20 मील दूर मिली थी। पहले दिन जॉब पर जाने की खुशी थी इसलिए कोई रिस्‍क वो शख्‍स नहीं लेता चाहता था। इसलिए वह वक्‍त पर पहुंचने की खातिर ऑफिस के लिए रात में ही तैयार होकर अपने घर से निकला था। लेकिन उसकी किस्‍मत सही नहीं निकली और कार रास्‍ते में ही धोखा दे गई। यह उसकी जीवन की पहली जॉब थी, इसलिए निराशा जाहिरतौर पर होनी ही थी। लेकिन उसने इसको अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। अपनी पहली जॉब पर समय पर पहुंचने के लिए उसने कार बीच रास्‍ते में छोड़कर पैदल जाने का फैसला किया। यह रास्‍ता कोई कम नहीं था। पहले पहल उसको लगा कि वह ऐसा नहीं कर सकेगा। लेकिन फिर भी उसने ऐसा किया।

 

आसान नहीं था सफर
वाल्‍टर के लिए अल्‍बामा से साउथ पेलहम का सफर आसान नहीं था। वाल्‍टर ने रात 11:30 बजे अपना ये सफर शुरू किया था और करीब सुबह चार बजे वह अपने ऑफिस था। वाल्‍टर के लिए सात घंटों की यह यात्रा यह बेहद थकाने और न भूलने वाली रात थी। लेकिन कहते हैं न जो खुद की मदद आप करते हैं उन्‍हें ऊपर वाला भी मदद करता है। उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वाल्‍टर लगातार चलने की वजह से थक चुके थे और कुछ देर के लिए एक ग्राउंड में बैठ गए थे। उसी वक्‍त वहां से स्‍थानीय पुलिस अधिकारी मार्क नाइथेन अपनी पुलिस कार में सवार वहां पेट्रोलिंग कर रहे थे। उन्‍होंने वाल्‍टर को देखा और कुछ पूछताछ भी की। पूरी कहानी जानने के बाद वह भी उसके मुरीद हुए बिना नहीं रह सके। उन्‍हें लगा कि यदि वाल्‍टर ऐसे ही आगे पैदल चलता रहा तो निश्चित तौर पर ऑफिस लेट ही पहुंचेगा। मार्क ने पहले वाल्‍टर को कुछ खाने को दिया। इसके बाद उन्‍होंने थके हुए वाल्‍टर को कुछ देर आराम करने के लिए एक चर्च में भी ठहराया। वाल्‍टर की दरअसल शिफ्ट सुबह आठ बजे शुरू होनी थी। इसलिए उसके पास में कुछ वक्‍त था। लिहाजा वह इसके लिए राजी हो गया। लेकिन इन सभी की मदद से वह वाल्‍टर समय पर अपने ऑफिस जरूर पहुंच गया।

कहानी अभी बाकी है
लेकिन वाल्‍टर की कहानी यहीं पर खत्‍म नहीं हो जाती है। वापसी में क्‍योंकि वाल्‍टर के पास कोई कार नहीं थी इसलिए उसको वापस भी पैदल ही आना पड़ा। लेकिन यहां पर उसकी मदद के लिए एक पुलिसकर्मी मिल गया। वह भी वाल्‍टर की कहानी से काफी प्रभावित हुआ और उसने उसकी कहानी को फेसबुक पर शेयर कर दिया। इस स्‍टोरी को जब वाल्‍टर की कंपनी के सीईओ लूक मार्कलिन ने पढ़ा तो वह वाल्‍टर से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके और उन्‍होंने अपनी गाड़ी वॉल्‍टर को गिफ्ट कर दी। वॉल्‍टर के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा ही था। मार्कलिन ने इस स्‍टोरी पर कमेंट करते हुए यह भी लिखा कि ऐसे एम्‍प्‍लॉय कम ही होते हैं। लेकिन जो होते हैं उनकी इज्‍जत जरूर करनी चाहिए। उनका यह कमेट हर किसी पर लागू होता है और सही भी है। लेकिन वॉल्‍टर जैसे लोगों को वास्‍तव में सलाम करना चाहिए।

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