ब्रिटेन में होता है अश्वेत कर्मियों से भेदभाव, गोरों की तुलना में कम दिया जाता है वेतन
ग्रेजुएट अश्वेत पुरुष कर्मियों को भी भुगतान में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इस मामले में भारतीयों, पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों की लगभग समान स्थिति है।
लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन में भारतीयों और अन्य अश्वेतों को वेतन भुगतान के मामले में श्वेत कर्मियों की तुलना में भेदभाव झेलना पड़ता है। भारतीयों समेत सभी अश्वेतों को श्वेतों की तुलना में कम वेतन मिलता है। यह बात एक सर्वे रिपोर्ट में सार्वजनिक हुई है।
द रिजोल्यूशन फाउंडेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे ब्रिटेन में 19 लाख अल्पसंख्यक कर्मियों को हर साल 3.2 अरब पाउंड (करीब 28,500 करोड़ रुपये) कम भुगतान किया जाता है। वेतन की यह धनराशि ब्रिटेन में निर्धारित भुगतान के मानकों से कम है। सन 2007 से 2017 तक के अध्ययन के बाद यह वास्तविकता सामने आई है। इससे भारतीयों के अलावा पाकिस्तानी और बांग्लादेशी प्रवासी स्त्री-पुरुष कर्मी प्रभावित हो रहे हैं। ये सभी ब्रिटेन के 19 लाख अश्वेत कर्मियों की जमात का हिस्सा हैं।
थिंक टैंक के मुताबिक बिना डिग्री वाली घंटे के हिसाब से भुगतान प्राप्त करने वाली अश्वेत और श्वेत महिला कर्मियों की आय में भी खासा अंतर है। ये महिला कर्मी अस्थायी तौर पर आवश्यकता के अनुसार कार्य करती हैं। ग्रेजुएट अश्वेत पुरुष कर्मियों को भी भुगतान में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इस मामले में भारतीयों, पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों की लगभग समान स्थिति है।
इतना ही नहीं 16 लाख अश्वेत कर्मचारियों को कार्यस्थल पर भी भेदभाव झेलना पड़ता है। उनको दिया जाने वाला कार्य और सुविधाएं अलग तरीके की होती हैं। द रिजोल्यूशन फाउंडेशन ने दस साल में एक लाख कर्मियों के आंकड़े एकत्रित करके यह रिपोर्ट तैयार की है।